लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन परवान चढ़ेगा या नहीं, भविष्य की बात है। लेकिन मौजूदा स्थिति बड़ी अजीब है। दोनों ही दलों में उहापोह की स्थिति है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सार्वजनिक मंच से गठबंधन की बात करते हैं तो मुलायम साफ तौर पर मुकर जाते हैं। कांग्रेस से गठबंधन पर सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव भी मौन हैं। कमोबेश ऐसा ही हाल कांग्रेस पार्टी का भी है। सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान सपा से गठबंधन करने को इच्छुक है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर और यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पीएल पुनिया सहित कई बड़े नेता सावर्जनिक मंच से गठबंधन की बात नकारते हैं। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सत्यदेव त्रिपाठी की मानें तो उत्तर प्रदेश की जनता इस बार कांग्रेस के साथ है। गठबंधन की बात कोरी अफवाह है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सोची-समझी रणनीति के तहत कांग्रेस से गठबंधन की बात कर रहे हैं। वह हमारे कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया कि सपा-कांग्रेस के गठबंधन की खबरों से नए-नवेले नेता मायूस हैं। खासकर जो पहली बार कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे। उनको डर है कि अगर कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन किया तो सीटें कम मिलेंगी। ऐसे में उनका नंबर आना मुश्किल हो जाएगा। ये नेता अब इस मामले पर दो टूक फैसला चाहते हैं। ये भी पढ़िए- …इसलिए समाजवादी पार्टी की जरूरत है कांग्रेस गठबंधन को तैयार कांग्रेस आलाकमान! प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता भले ही गठबंधन से साफ इनकार कर रहे हों लेकिन पार्टी की चुनावी तैयारियों को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि पार्टी आलाकमान पूरी तरह से गठबंधन का मन बना चुका है। चुनाव सिर पर हैं और प्रदेश में प्रत्याशियों के चयन के लिए बनने वाली स्क्रीनिंग कमेटी अभी तक आधी-अधूरी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री इस कमेटी के अध्यक्ष हैं, लेकिन अभी भी दो सदस्यों की नियुक्ति होनी है। इस पर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि अभी स्क्रीनिंग कमेटी में सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही कांग्रेस की चुनावी प्रक्रिया में तेजी आएगी। ये भी पढ़िए- इसलिए ओवैसी से गठबंधन कर सकती हैं मायावती! क्या कहते हैं जानकार राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा-कांग्रेस के गठबंधन की बात लगभग तय है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में 27 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस को एक मजबूत बैशाखी की तलाश है, जो सपा से बेहतर नहीं हो सकती। उनके मुताबिक, कांग्रेस के बड़े नेता गठबंधन पर इसलिए हो हल्ला कर रहे हैं ताकि इस गठबंधन के समझौते में कम से कम सौ सीटें मिल जाएं। साथ ही पार्टी यूपी में डिप्टी सीएम का पद भी चाहती है। गुलाम नबी को मुस्लिमों की जिम्मेदारी गठबंधन की चर्चा के बीच कांग्रेस की कोशिश खुद को मजबूत दावेदार के तौर पर दिखाने की है। पार्टी ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद को जिम्मेदारी सौंपी है। वह बुधवार से मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी रणनीति को अजाम देने में जुटेंगे। 28 दिसंबर को बाराबंकी, 29 दिसंबर को गोंडा व श्रावास्ती और 30 दिसंबर को बलरामपुर व सिद्धार्थनगर में गुलाम नबी आजाद अपनी सभाएं करेंगे। ये भी पढ़िए- छोटे दलों से बड़ा गठबंधन करना चाहते हैं ‘छोटे चौधरी’