भोपाल। नेशनल हेराल्ड केस में घिरीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भले ही 19 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने की मंजूरी दे दी हो, पर इस मामले में एमपी में भी सियासत गरमा गई है। प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों पर शुक्रवार को पलटवार किया। पार्टी प्रवक्ता केके मिश्रा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शह पर सुब्रमण्यम स्वामी ने नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा है।
उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना 1937 में पं. जवाहर लाल नेहरू ने की थी और द एसोसिएटेड जर्नल्स लि. (एजेएल) इसका प्रकाशन करती थी। एजेएल का नियंत्रण यंग इंडिया के पास है, जिसके 99 फीसदी शेयर सोनिया व राहुल गांधी के पास है। कंपनी अधिनियम की धारा 25 कहती है कि यह कंपनी नॉन प्रॉफिट कंपनी है और इसके शेयरधारक कोई भी लाभांश का वित्तीय लाभ नहीं ले सकते। इस लिहाज से सोनिया-राहुल के लाभ लेने का मामला बनता ही नहीं है। भाजपा बेबुनियाद आरोप लगा रही है। अरुण जेटली, शाहनवाज हुसैन अपने बयानों से ये स्पष्ट कर चुके हैं कि ये कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार स्वामी को वाद प्रस्तुत करने के अधिकार नहीं है, ये अधिकार कंपनी के शेयरधारकों के पास है।
मोदी के भ्रष्टाचार पर दो पैमाने
मिश्रा ने कहा कि मोदी सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर दो पैमाने हैं। एक माध्यम से वो अपना भ्रष्टाचार छिपा रही है और दूसरे से अपने विरोधियों को परेशान कर रही है। यदि कांग्रेस का यह आरोप गलत है तो भाजपा यह साबित करे कि मप्र में 1.40 करोड़ युवाओं के भविष्य को बिगाड़ देने वाले व्यापमं व डीमेट महाघोटाले हुए, फिर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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