अनिल के. अंकुर लखनऊ. अब की बार यूपी और मध्य प्रदेश के लोग मार्च अप्रैल 2017 तक ठंड का लुफ्त उठाएंगे। ऐसी संभावना तकनीकी स्कूल अॉफ मैनेजमेंट साईंसेज एंड वैदिक विज्ञान केन्द्र लखनऊ के अध्यक्ष प्रोफेसर भरत राज सिंह ने जताई है। उन्होंने खुलासा किया है कि लखनऊ समेत प्रदेश में शीतलहर से ठण्ड व धुंध से हवा में जानलेवा कणों की मात्रा में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने इससे बचाव के लिए यह सलाह भी दी है कि लोग अपनी छतों और जमीन को अगर पानी से सींचेंगे तो इस जहरीली धुंध से होने वाले नुकशान से बचा जा सकेगा। ग्लोबल वार्मिंग के चक्कर में इस बार यूपी एमपी में ठंड का असर मार्च अप्रैल 2017 तक रहेगा। प्रोफेसेर भरत राज सिंह ने बताया कि बीती 25-26 नवम्बर से हिमांचल के नजदीक दिल्ली व हिमालय से सटे उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में शीतलहर व कुहरे के साथ साथ हवा में जहरीले कणों का धुन्ध छाया हुआ है। इससे सांस लेना मुश्किल हो रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान भी उनके विश्लेषणों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। लगभग 10 दिनों से कुहरा छटने का नाम नहीं ले रहा है। लोगों में अभी इसका कारण केवल ठण्ड का मौसम प्रारम्भ होने व कुहरा पिछले सालो की तरह ही आने का अन्देशा माना जा रहा है। जबकि सच्चाई में ऐसा नहीं है। प्रोफेसर ने पेश की भारतीय मापविद्या संस्थान, पूना की रिपोर्ट प्रो़. भरत राज सिंह ने पूना की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार ठण्ड कम पड़ेगी। इससे मैं सहमत नहीं हूं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 2015 की शीतकालीन समय गरम गुजरी थी और अभी इस वर्ष ठंडक पड़ना शुरू हो गयी है। उनके अनुसार यह नीनो के कमजोर रहने के कारण ही हो रहा है। भरत राज सिंह बताते हैं कि यदि ठण्ड का मौसम थोड़ा गरम रहता तो कुहरे में कमी आ जाती। परन्तु जिस तरीके से ठण्ड ने अपनी दस्तक दी है, इस वर्ष शीतकाल में 4-6 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान और नीचे जाने की सम्भावना- महाराष्ट्र व तेलन्गाना जनपद के अधिक स्थानों पर बढ़ी रहेगी। तकनीकी स्कूल आफ मैनेजमेेंट साईसेंज के प्रोफेसर इस रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इस बार यूपी में ठंड भी ज्यादा पड़ेगी। ग्लोबल वार्मिंग के कारण यूपी का बुरा हाल प्रोफेसर भरत राज सिंह का कहना कि उनके विचार से, ग्लोबल वार्मिंग का असर यूपी में ज्यादा ही पड़ता दिख रहा है। पहाड़ी इलाकों में ग्लोबल वार्मिंग के पिछले प्रभावों से ग्लेशियर की चट्टानें बहुत अधिक पिघल चुकी हैं। शीतकालीन मौसम में इनमें अधिक जमाव की संभावना अधिक नहीं है। बर्फवारी होगी भी वह ग्लेशियर के तापमान के समतुल्य कम अर्थात नीचे होने से बर्फ उस पर जमेंगी नहीं, बल्कि ये पिघलती रहेगी और ठंडी हवा के रूप में मैदानी इलाकों में पहुंचेगी। हवा के रुख के अनुसार- दिल्ली, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश होगा और उनका बहुत सा हिस्सा ठण्ड से अधिक प्रभावी होगी और वंहा पर ठण्ड के मौसम – मार्च- अप्रैल 2017 तक बढ़ने की पूर्ण सम्भावना है। कोहरे से बढ़ा जहरीला प्रदूषण प्रो़ भरत राज ने बताया कि आज हवा में प्रदूषण के कण 8-9 गुणा सीमा से अधिक बढ़ चुका है, जो जान-लेवा साबित होगा द्य लखनऊ व दिल्ली देश ही नहीं वरन पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रदूषित शहर की श्रेणी में आ चुका है। सुबह-शाम घरों से बाहर निकलते है, तो उन सभी को साँस लेने में कठिनाई महसूस होती है। इसका मुख्य कारण- जो ग्रीन हाउस गैसो के प्रदूषित कण वायु मंडल में विद्यमान आसमान में 15 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल के रूप में मौजूद हैं, वह इस शीतलहर में ओश की बूंदों के दबाव में जमीन के शतह के पास आ गए हैं। इससे हवा की क्वालिटी बहुत गिर गयी है और सांस लेते संमय यह कण जो नैनो आकार व माप में हैं। इससे तरह तरह तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसके लिए उन्होंने उपाय बताए हैं कि लोग घर के बाहर मास्क लगाकर निकलें। घरों की छतों और बाहर खुली सड़कों और जमीन पर सिंचाई करें ताकि जहरीले कण जमीन में दब जाएं।