सोमवार को तहसीलदार ने किया मौका मुआयना
लालगंज तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें धधुआ गाजन में दो मासूम बच्चों की सर्पदंश से मौत की सूचना मिली थी। इसपर वे धधुआ गाजन पहुंचे। जहां उन्होंने बेटों की कब्र खोद रहे पिता से बच्चों का पोस्टमार्टम कराने का आग्रह किया। ताकि उन्हें दैवी आपदा कोष से मिलने वाली आठ लाख रुपये की सहायता दिलाई जा सके। हालांकि गमगीन पिता ने बेटों का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। सुबह करीब साढ़े नौ बजे गांव के बाग में एक कब्र बनाकर उसी में दोनों भाइयों के शव को दफन कर दिया गया। घटना से परिवार व गांव में गम का माहौल बना हुआ है।
लालगंज तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें धधुआ गाजन में दो मासूम बच्चों की सर्पदंश से मौत की सूचना मिली थी। इसपर वे धधुआ गाजन पहुंचे। जहां उन्होंने बेटों की कब्र खोद रहे पिता से बच्चों का पोस्टमार्टम कराने का आग्रह किया। ताकि उन्हें दैवी आपदा कोष से मिलने वाली आठ लाख रुपये की सहायता दिलाई जा सके। हालांकि गमगीन पिता ने बेटों का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। सुबह करीब साढ़े नौ बजे गांव के बाग में एक कब्र बनाकर उसी में दोनों भाइयों के शव को दफन कर दिया गया। घटना से परिवार व गांव में गम का माहौल बना हुआ है।
परिवार ने पोस्टमार्टम कराने से किया इनकार
तहसीलदार की बात सुनने के बाद बिलखते हुए मृतक के पिता ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी न होने के बावजूद बेटे के गम में डूबे मासूमों के पिता ने शासन से मिलने वाली आठ लाख की आर्थिक सहायता को ठुकरा दिया। तहसीलदार के अनुसार बेटों के गम में फफक-फफक कर रोते हुए पिता ने कहा “साहब! हमार तौ सब नाश होइगा, इनही दुइ जने रहेन हमरे, और कौनो संतान नाही अहै…। दुइनव का एक साथेन संपवा लील गवा, अब का करब पैसा…हमार तौ असल संपत्ति इनही दुइनव रहेन, जौन चला गयेन”। एक साथ दोनों बेटों को खोने वाले पिता की मार्मिक बात सुनकर तहसीलदार ही नहीं, वहां मौजूद हर किसी की आखों से आंसू छलक पड़े।
तहसीलदार की बात सुनने के बाद बिलखते हुए मृतक के पिता ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी न होने के बावजूद बेटे के गम में डूबे मासूमों के पिता ने शासन से मिलने वाली आठ लाख की आर्थिक सहायता को ठुकरा दिया। तहसीलदार के अनुसार बेटों के गम में फफक-फफक कर रोते हुए पिता ने कहा “साहब! हमार तौ सब नाश होइगा, इनही दुइ जने रहेन हमरे, और कौनो संतान नाही अहै…। दुइनव का एक साथेन संपवा लील गवा, अब का करब पैसा…हमार तौ असल संपत्ति इनही दुइनव रहेन, जौन चला गयेन”। एक साथ दोनों बेटों को खोने वाले पिता की मार्मिक बात सुनकर तहसीलदार ही नहीं, वहां मौजूद हर किसी की आखों से आंसू छलक पड़े।
तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सर्प दंश से दो सगे भाइयों के मौत की घटना दुखद है। सोमवार को वे खुद मौके पर गए थे, लेकिन मासूमों के पिता ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। बोले कि उनके लिए संतान सब कुछ थे, जब वही दोनों चले गए तो पैसा लेकर क्या करूंगा। इससे अब दैवी आपदा कोष से मिलने वाली आठ लाख रुपए की सहायता उन्हें मिल पाना संभव नहीं है।