दरअसल, उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश कुमार चतुर्वेदी की ओर से आदेश जारी किया गया है। लोक निर्माण अनुभाग-8 की ओर से यह आदेश दिया गया है कि सभी प्रकार के अवकाश मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से ही स्वीकृत किए जाएंगे। भौतिक रूप से प्राप्त अवकाश सबधी प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इस आदेश के तहत प्रकार के अवकाश मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से प्राप्त होने पर पोर्टल के माध्यम से ही स्वीकृत किया जाएगा। भौतिक रूप से प्राप्त अवकाश सबधी प्रार्थना पत्र स्वीकार न किए जाएं। यदि किसी प्रकार के अवकाश को भौतिक रूप से स्वीकृत किया जाता है तो उसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व अवकाश स्वीकृत करने वाले अधिकारी का होगा। उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी कागज पर छुट्टी का आवेदन लिखकर चला जाता है तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। वहीं उस कर्मचारी को अनुपस्थित मानते हुए उसकी सर्विस ब्रेक कर दी जाएगी। कार्मिक विभाग के अनुसार सर्विस ब्रेक होने की दशा में ऐसे कर्मचारियों के इंक्रीमेंट और प्रमोशन पर असर पड़ेगा, क्योंकि सर्विस ब्रेक होने के बाद जिस दिन वह कर्मचारी दोबारा अपने पद पर ज्वाइन करेगा। प्रमोशन और इंक्रीमेंट उसी तारीख से लागू किया जाएगा। ऐसे में पूरी सर्विस बुक नए सिरे से तैयार की जाएगी। जिसकी वजह से कर्मचारियों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में अधिकांश कर्मचारी और अधिकारियों के मानव संपदा अकाउंट बन चुके हैं। जिसके जरिए वे अपनी छुट्टी अप्लाई कर सकते हैं। उनका विभाग अध्यक्ष इस छुट्टी को ऑनलाइन ही प्रमाणित करेगा। ऑनलाइन छुट्टी प्रमाणित होने की दशा में विभाग अध्यक्ष के सामने सभी छुट्टियों की पारदर्शी जानकारी उपलब्ध होती है। कर्मचारी इसमें कोई घालमेल नहीं कर सकता।