मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की आधार भूमि और उसका हृदय स्थल कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में स्वदेशी ज्ञान-विज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर क्रियाशील विज्ञान भारती के पांचवें अधिवेशन का आयोजन होना एक सुखद अनुभूति कराता है।
यह भी पढ़ें – 60 लाख की लागत से चमकेगा धोपाप धाम, भगवान राम ने यहां पाई थी ब्रम्हा हत्या के पाप से मुक्ति कोरोना ने आयुर्वेद को सिद्ध किया मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हमारी चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने की आदत नहीं रही। हमे डाटा कलेक्शन की आदत नहीं। उन्होंने टिप्पणी की कि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट बनना चाहते हैं। एसोसिएट, प्रोफेसर बनना चाहते हैं। प्रोफेसर कुलपति बनना चाहते हैं और कुलपति बनने के बाद कहीं और जाना चाहते हैं। इसकी जगह शिक्षकों को वैज्ञानिक सोच और दृष्टि रखने की जरूरत है। वह अपने शोध को सामने रखें उसे प्रकाशित करें। उन्होंने इस दौरान चिकित्सकों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि चिकित्सक हर मरीज को एक जैसे ढर्रे पर देखते हैं। जबकि उनको भी पता है कि हर मरीज की प्रकृति दूसरी है। वह उसको अलग-अलग तरीके से देखकर अपने अनुभव को और विस्तार देख सकते हैं। आयुर्वेद को कम महत्व दिया जा रहा था, लेकिन कोरोना ने आयुर्वेद को सिद्ध किया और लोगों ने काढ़ा पीना शुरू कर दिया।
यह भी पढ़ें – यूपी: 52 पीसीएस अफसर किए गए इधर से उधर, गोरखपुर, प्रयागराज, लखनऊ को नए SDM राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाली सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाली है। आज हमारे पास संसाधन की कमी नहीं है, बस मजबूत इच्छाशक्ति की कमी है। दो दिन के अधिवेशन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार को लेकर शिक्षाविद और वैज्ञानिक चर्चा करेंगे और एक प्रस्ताव पास करेंगे।