मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बातचीत करते हुए ड्रेस बनाने के साथ स्वेटर बनाने के लिए उन्होंने आह्वान किया। साथ ही यूपी को रेडिमेड कपड़ों का हब बनाने के लिए आगे आने के लिए स्वयं सहायता समूह को प्रेरणा दी। सरकार के सहयोग से आज प्रदेश में 3,93,447 स्वयं सहायता समूहों से जुड़े लगभग 45,24,640 परिवारों के जीवन में बदलाव आया है। इन परिवारों की महिलाओं के स्वावलंबी होने से परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
ये भी पढ़ें- सीएम योगी का बड़ा बयान, कहा- किसानों को गुमराह कर रहे विपक्ष की कोशिश पूरी होने नहीं देंगे किसी भी महिला समूह के लिए यह अपने आप में एक उदाहरण है-
सीएम ने कहा कि महिला शक्तिकरण के लिए ग्रामीण क्षेत्र में स्वावलम्बन के लिए महिला स्वयं सहायता समूह की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। कैसे बुंदलेखण्ड में हर जनपद में बलनी मिल्क प्रोड्यूसर ने एक वर्ष 46 करोड़ रुपये का बिजनेस किया और 2 करोड़ 26 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है। किसी भी महिला समूह के लिए यह अपने आप में एक उदाहरण है। यह संभावना केवल बुंदेलखण्ड में ही नहीं है बल्कि यह संभावना तो प्रदेश के अंदर हर जनपद में मौजूद है, हर एक स्तर पर मौजूद है। केवल हमारे प्रशासनिक अधिकारी गण और इससे जुड़े अधिकारी योजक के रूप में इससे जुड़कर काम करना शुरू कर देंगे। तो हर जनपद में हम एक बलनी मिल्क प्रोड्यूसर जैसा संगठन खड़ा कर सकते हैं जो मातृशक्ति के स्वावलम्बन की दिशा में, बहन बेटियों के स्वालम्बन की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
सीएम ने कहा कि महिला शक्तिकरण के लिए ग्रामीण क्षेत्र में स्वावलम्बन के लिए महिला स्वयं सहायता समूह की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। कैसे बुंदलेखण्ड में हर जनपद में बलनी मिल्क प्रोड्यूसर ने एक वर्ष 46 करोड़ रुपये का बिजनेस किया और 2 करोड़ 26 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है। किसी भी महिला समूह के लिए यह अपने आप में एक उदाहरण है। यह संभावना केवल बुंदेलखण्ड में ही नहीं है बल्कि यह संभावना तो प्रदेश के अंदर हर जनपद में मौजूद है, हर एक स्तर पर मौजूद है। केवल हमारे प्रशासनिक अधिकारी गण और इससे जुड़े अधिकारी योजक के रूप में इससे जुड़कर काम करना शुरू कर देंगे। तो हर जनपद में हम एक बलनी मिल्क प्रोड्यूसर जैसा संगठन खड़ा कर सकते हैं जो मातृशक्ति के स्वावलम्बन की दिशा में, बहन बेटियों के स्वालम्बन की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 51,981 आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपूरक पुष्टाहार की जगह सूखे राशन जैसे गेहूं, दाल, चावल व दुग्ध पदार्थ आदि का वितरण किया जा रहा है। इसके साथ ही स्कूली बच्चों के ड्रेस जिसकी खरीद पहली ई-टेंडरिंग के माध्यम से होती थी उसकी प्रक्रिया सरल बनाने और रोजगार देने के लिहाज से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से ड्रेस सिलवाने का निर्णय लिया गया। जिसके बाद 67 हजार समूह सदस्यों द्वारा प्रदेश के स्कूली बच्चों के लिए 1 करोड़ 28 हजार स्कूल ड्रेस तैयार कर लिए गए। साथ ही समूहों व इनके माध्यम से जुड़ी महिलाओं को 100 करोड़ से अधिक की आमदनी भी हुई। अकेले प्रयागराज में एक महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा 17 हजार ड्रेस बनाए गए।
ये भी पढ़ें- पर्यटकाें को मिलेगी सही जानकारी, अयोध्या का इतिहास बताएंगे प्रशिक्षित टूरिस्ट गाइड एक साल में एक करोड़ महिलाओं को समूह से जोड़ने का लक्ष्य- प्रदेश के अंदर लगभग 4 लाख महिला स्वयं सेवा समूह हैं। जिसमें करीब 45 लाख महिलाएं जुड़ी हैं। हमारा प्रयास हो कि अगले एक वर्ष में इसे दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त हो जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने महिलाओं को दुग्ध उत्पादन से जोड़ने का आह्वान किया। बताया कि यूपी एसआरएलएम और आसीआईआसीआई बैंक के बीच विशेष एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। जिससे इस कार्यक्रम को और बेहतर ढंग से पूरे प्रदेश में क्रियान्वित किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा की अधिकारी किसी गरीब की दुर्घटना होने पर सहायता के लिए शासन के निर्देशों का इंतजार न करें। साथ ही कहीं पर कोई ठंड से न मरे इसका ख्याल रखे। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।