मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, ”कोरोना शुरूआती लक्षण दिखने के बाद मैंने कोविड जांच करवाई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। मैं सेल्फ आइसोलेशन में हूं और चिकित्सकों के परामर्श का पूर्णतः पालन कर रहा हूं। मैं सभी काम वर्चुअली संपादित कर रहा हूं। प्रदेश सरकार की सभी गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित हो रही हैं। इस बीच जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं वे अपनी जांच अवश्य करवा लें और एहतियात बरतें।” मुख्यमंत्री ने पांच अप्रैल को कोविड-19 की वैक्सीनेशन की पहली डोज लगवाई थी। यह वैक्सीनेशन लखनऊ के सिविल अस्पताल में हुआ था।
अखिलेश भी कोरोना संक्रमित बुधवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने संक्रमित होने की जानकारी दी। कोरोना संक्रमित होने के बाद अखिलेश यादव ने खुद को घर में आइसोलेट कर लिया है। उन्होंने ट्वीट किया कि अभी-अभी मेरी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है। मैंने अपने आपको सबसे अलग कर लिया है व घर पर ही उपचार शुरू हो गया है। पिछले कुछ दिनों में जो लोग मेरे संपर्क में आये हैं, उन सबसे विनम्र आग्रह है कि वो भी जांच करा लें। उन सभी से कुछ दिनों तक आइसोलेशन में रहने की विनती भी है। बता दें कि अखिलेश यादव को पिछले कई दिनों से बुखार था। जिसके बाद उन्होंने सैंपल दिया और बुधवार को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। रविवार को अखिलेश यादव ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी से मुलाकात की थी जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
संक्रमितों के उपचार के लिए लगाए एमबीबीएस के छात्र प्रदेश में तेजी से बढ़ती कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद को देखते हुए योगी सरकार ने अहम फैसला लिया है। यूपी में अब कोविड के उपचार के लिए एमबीबीएस के छात्रों को भी कोविड ड्यूटी में लगाया जाएगा। एमबीबीएस के चौथे और पांचवे वर्ष के छात्रों को कोविड ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। एमबीबीएस के छात्रों को कोविड ड्यूटी में लगाने का फैसला इनकी परीक्षा को निरस्त करने के बाद लिया गया है।
योगी सरकार ने निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अब निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ मनमाने तरीके से छुट्टी नहीं ले सकेंगे। योगी सरकार ने इनकी छुट्टी पर रोक लगा दी है। मेडिकल सेवा में अवकाश के लिए सीएमओ से अनुमति लेनी होगी।
कोरोना जांच के लिए प्राइवेट अस्पतालों में फीस तय राज्य सरकार ने गैर सरकारी व निजी क्षेत्र के अस्पतालों में विभिन्न जांचों के शुल्क तय किए हैं। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने शुल्क की दरों के लेकर आदेश जारी किया है। यूपी के जिलों को ए,बी और सी श्रेणी में रखा गया है। नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर (एनएबीएच) से प्रमाणित अस्पतालों के लिए अलग शुल्क तय किया गया है।
ये भी पढ़ें: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को हुआ कोरोना, खुद सीएम योगी भी हैं आइसोलेट ए, बी और सी श्रेणी में शामिल ये जिले ए श्रेणी में लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, गोरखपुर, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद को शामिल किया गया है, जबकि बी श्रेणी के जिलों में मुरादाबाद, अलीगढ़, झांसी, सहारनपुर, मथुरा, रामपुर, मीरजापुर, शाहजहांपुर, अयोध्या, फीरोजाबाद, मुजफ्फरनगर और फर्रुखाबाद हैं। शेष सारे जिले सी श्रेणी में हैं।
इस तरह निर्धारित हुए रेट लैब का कर्मचारी अगर सैंपल लेने घर आता है, तो जांच का शुल्क 900 रुपये वसूला जाएगा। वहीं अगर, कोई व्यक्ति निजी लैब में आरटीपीसीआर जांच कराता है, तो उससे 700 रुपये लिए जाएंगे। अगर राज्य सरकार के चिह्नित अधिकारी द्वारा निजी अस्पताल में जांच के लिए सैंपल भेजा जाता है, तो सैंपल देने वाले से अधिकतम 500 रुपये ही लिया जाएगा। वहीं आईसीयू में वेंटिलेटर के साथ वाले बेड पर भर्ती मरीज से एक दिन का अधिकतम 18 हजार रुपये लगेगा। इसी तरह ए श्रेणी के जिलों में इलाज का जो शुल्क होगा, उसका 80 प्रतिशत बी श्रेणी और 60 प्रतिशत सी श्रेणी के जिलों के अस्पतालों में लिया जाएगा।
सात जिलों में ओपीडी सेवा बंद यूपी के सात जिलों के सरकारी मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थानों में ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। लखनऊ, प्रायगराज, कानपुर, गोरखपुर, आगरा, मेरठ और झांसी में ओपीडी सेवाएं बंद करने का आदेश है। इन अस्पतालों में केवल अत्यंत जरूरी सर्जरी को ही प्राथमिकता दी जाएगी।