साल 2000 में महानिरीक्षक कारागार का पदनाम बदलकर महानिदेशक कारागार सुधार एवं सेवाएं कर दिया गया था। महानिदेशक कारागार की जिम्मेदारी आईएएस अफसरों के पास ही रही। बाद में यह बात सामने आई कि जेल और पुलिस एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए जेल विभाग का प्रमुख आईपीएस अफसरों को बनाया जाए।
अनुशासनहीनता को रोकने के लिए फैसला 12 अप्रैल, 2018 को आईपीएस संवर्ण के लिए आईजी जेल की नॉन कैडर पोस्ट बनाई गई। लेकिन इस पद पर तैनात रहने वाले को विभागाध्यक्ष के अधिकार नहीं दिए गए। जेलर और डिप्टी जेलर के निलंबन और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जिम्मेदारी महानिदेशक कारागार के पास होती रही। विभाग में अनुशासनहीनता और अन्य प्रशासनिक समस्याएं खड़ी होती रहीं। इसे कंट्रोल में लाने के लिए व इस समस्या का समाधान करने के लिए महानिदेशक कारागर का पद पूर्ण रूप से आईपीएस अफसरों क दिए जाने का फैसला किया गया। इससे अनुशासनहीन जेल अधिकारियों पर लगाम लगाए जाने में आसानी होगी व जेलों में ढिलाी या अराजकता पर भी अंकुश लग सकेगा।