मौलवियों ने जताई नाराजगी देवबंद में एक अन्य मौलवी मौलाना असद कासमी ने कहा कि अब सरकार ने फैसला किया है कि नए मदरसों को अनुदान नहीं दिया जाएगा। लेकिन इस फैसले का कारण नहीं बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को मुस्लिम बहुल इलाकों में स्कूल और कॉलेज बनाने चाहिए। उधर, गोरा ने पूछा कि क्या सरकार के पास बजट नहीं है या ऐसा निर्णय केवल मदरसों पर लागू होता है। उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 75 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं और 25 प्रतिशत मदरसों में पढ़ते हैं। इसके लिए मुस्लिम समुदाय चंदा देता है।
सरकारी अनुदान की जरूरत नहीं कासमी ने कहा कि हमें सरकारी अनुदान की जरूरत नहीं है लेकिन यह निर्णय योगी सरकार की सोच को दर्शाता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 16,461 मदरसों में से सिर्फ 558 को ही अनुदान मिला है। बता दें कि इससे पहले 18 मई को प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने कहा था कि वर्तमान में सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले मदरसों को यह मिलता रहेगा, लेकिन सूची में कोई नया लाभार्थी शामिल नहीं किया गया है।