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शहर के इन चौराहों पर मिलते है पुरुष कैसरबाग चौराहा, अमीनाबाद चौराहा, इंदिरा नगर, जानकीपुरम, दुबग्गा , गोमती नगर, राजाजीपुरम, पुराना लखनऊ , चौक, नखास चौराहा लखनऊ के इन सभी चौराहों पर सुबह से ही भीड़ सी लग जाती है। सुबह 7 बजे से 8 :30 तक झुण्ड में भीड़ होती है, जैसे ही 9 बजने वाला होता है भीड़ छटने लगती हैं सब अपने – अपने काम पर निकल जाते है।
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पुरुषों मंडी क्यों कहा जाता है आइए पहले बताते हैं कि पुरुषों की मंडी का क्या मतलब है. क्योंकि दिमाग में बहुत से सवाल होंगे। जिसका समाधान बहुत जरूरी है। 50 सालों से लखनऊ में रहने वाले सैयद अली मिर्जा ने बताया कि यह बाजार नवाबों के समय से लगता चला आ रहा है। इसको बाजार कहिये या मंडी दोनों का मतलब एक ही है। जिसको काम की जरूरत होती थी और काम नहीं मिल रहा, तो वो इंसान किसी भी उम्र का हो, इस बाजार में काम की तलाश के लिए सुबह 6 बजे से 8 बजे तक बैठा रहता है। यह भी पढ़ें