लखनऊ

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कई बच्चे फंसे बाल मजदूरी की दल-दल में, दो दशक में बढ़ा आंकड़ा

कोरोना (Corona Virus) की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया पर कहर बरपाया है। दूसरी ओर इस महामारी में ही कई बच्चे बाल श्रम (Child Labour) के दल-दल में फंस गए हैं। इनकी अनेक वजह है। वायरस की वजह से बंद पड़े स्कूलों की वजह से रोजगार के लिए बड़ी तादाद में लोग पलायन कर रहे हैं।

लखनऊJun 14, 2021 / 01:54 pm

Karishma Lalwani

Child Labour

लखनऊ. कोरोना (Corona Virus) की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया पर कहर बरपाया है। दूसरी ओर इस महामारी में ही कई बच्चे बाल श्रम (Child Labour) के दल-दल में फंस गए हैं। इनकी अनेक वजह है। वायरस की वजह से बंद पड़े स्कूलों की वजह से रोजगार के लिए बड़ी तादाद में लोग पलायन कर रहे हैं। इसके कारण भी हजारों बच्चे बाल मजदूर बनने को मजबूर हो गए हैं। आशंका जताई गई है कि अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब बड़ी संख्या में पूरी पीढ़ी बाल मजदूर बन जाएगी। एक अन्य वास्तविकता यह भी है कि कोरोना काल में कई बच्चों ने अपने माता या पिता में से किसी एक को या दोनों को ही खो दिया है। बड़े पैमाने पर ऐसे बच्चों पर अपना घर चलाने की जिम्मेदारी आ जाने के कारण को उनके बाल श्रम में जाने की आशंका जताई गई है।
बाल मजदूरी कोई नई मुसीबात नहीं है। इसे रोकने के लिए साल दर साल काम किया जा रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार एक राज्य से दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले मजदूर परिवारों के साथ 5 से 9 साल की उम्र के कुल बच्चे और बच्चियों की संख्या 61.14 लाख है। यह कुल स्थानांतरित हुए मजदूर परिवारों के सदस्यों की संख्या का 9.57 प्रतिशत है। इसी तरह 10 से 14 साल की उम्र वाले ऐसे बच्चों की संख्या 34.20 लाख है जो कुल स्थानांतरित हुए मजदूर परिवारों के सदस्यों की संख्या का 5.36 प्रतिशत है। 15 से 20 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 80.64 लाख है। बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो राज्य में 21,76,706 बाल मजदूर हैं। इनमें से करीब 60 फीसदी सीमान्त मजदूर थे। शेष 9 लाख बच्चे मुख्य मजदूर थे जो कि 6 महीने से ज्यादा समय के लिए मजदूरी कर रहे थे।
दो दशक में पहली बार बढ़ा आंकड़ा

यूपी के साथ ही अन्य प्रदेशों की बात करें तो बाल मजदूरी की संख्या पिछले दो दशक में बढ़कर 16 करोड़ हो गई है।अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, बाल मजदूरी को रोकने की दिशा में प्रगति 20 साल में पहली बार रुकी है। 2000 से 2016 के बीच बाल श्रम में बच्चों की संख्या 9.4 करोड़ कम हुई थी। मगर 2016 के बाद से बाल मजदूरी में 84 लाख का इजाफा हुआ है।
637 बच्चे बाल मजदूरी से मुक्त

बाल श्रम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2017 से 2020 के बीच 637 बाल मजदूरों को मुक्त करवाया गया है। 228 लोगों पर केस दर्ज किया गया। वहीं आरटीआई की जानकारी के अनुसार, 6 से 14 साल की उम्र के 1.75 लाख बच्चे और बच्चियां स्थानांतरित होने की वजह से शिक्षा से वंचित रहे हैं। इन बच्चों की जगह स्कूल में है लेकिन स्कूल बंद होने और आर्थिक तंगी की वजह से कई बच्चे कामों में व्यस्त हो गए, जिसे बाल श्रम कहते हैं।
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