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लखनऊ

#WorldHeritageDay: हर किसी की मंजिल हुआ करती थी छत्तर मंजिल, जानिए यह महत्वपूर्ण बातें

इस पैलेस का इतिहास चारों तरफ फैला हुआ है, इस महल को कई शासकों ने अलग – अलग समय पर बनवाया। हर किसी ने अपने ढंग से इसे बनवाने की कोशिश की

लखनऊApr 15, 2016 / 08:51 pm

Prashant Srivastava

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लखनऊ. राजधानी लखनऊ ऐतिहासिक धरोहरों का शहर है। यहां की इमारतों का इतिहास दुनियाभर में मशहूर रहा है। ऐस ही ऐतिहासिक धरोहर है छत्तर मंजिल। छत्‍तर मंजिल को छाता पैलेस भी कहा जाता है क्‍योंकि इसकी गुंबद छातानुमा आकार की है। इस पैलेस का इतिहास चारों तरफ फैला हुआ है, इस महल को कई शासकों ने अलग – अलग समय पर बनवाया। सबसे पहले जनरल क्‍लाउड मार्टिन ने 1781 में अपने निवास स्‍थान के रूप में बनवाया था, जो गोमती नदी के तट पर स्थित था। बाद में इसे नवाब सादत अली खान के द्वारा खरीद लिया गया था।

इसके बाद नवाब गाजी उद्दीन हैदर ने इसके निर्माण पर कार्य शुरू किया, लेकिन इसे उनके उत्‍तराधिकारी नवाब नसीर उद्दीन हैदर के द्वारा पूरा बनवाया गया। वर्तमान समय में यह महल केन्‍द्रीय औषधि अनुसंधान संस्‍थान ( सीडीआरआई ) के कार्यालय के रूप में जाना जाता है। यह पैलेस पहले अवध के नवाब और उनकी बेगमों का निवास स्‍थान हुआ करता था और बाद में 1857 की क्रांति, भारत की आजादी के प्रथम युद्ध में स्‍वतंत्रता सेनानियों की बैठक का एक केन्‍द्र बिन्‍दु भी बन गया था। इस दिलचस्‍प और अनूठी, ऐतिहासिक इमारत के भूमिगत हिस्‍से को तह़खाना कहा जाता है।

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इन तह़खानों को गोमती नदी के पानी में बनाया गया है जिसके कारण यह भंयकर गर्मियों के दौरान भी ठंडाते हैं। यह पैलेस पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है और साथ ही साथ कई प्रमुख फोटोग्राफर जैसे – सैमुअल बॉर्न, डारोगाह उब्‍बास अली, फेलिस बीओट और थॉमस रस्‍ट भी इन जगहों पर की गई फोटोग्राफी के लिए ही प्रसिद्ध हुए थे।

नाम के अनुरूप इस इमारत में सबसे ऊपर एक छातानुमा गुम्बद है, जो इसे विशेष भव्यता और अलग पहचान देता है। इस छतर को लखनऊ की पहचान के आधिकारिक लोगो के रूप में स्वीकार किया गया है। यह नवाब गाजी-उद-दीन हैदर द्वारा निर्मित और उनके बेटे नासिर-उद-दीन हैदर द्वारा पूरा किया गया । यह भारत-यूरोपीय नवाबी स्थापत्य शैली का एक उदाहरण है। हाल तक यहां सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) का कार्यालय था और अब इसे अवध विरासत और परंपराओं पर केद्रिंत एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाना प्रस्तावित है।

नीचे हैं कई सुरंग

गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर की एक टीम ने छत्तर मंजिल के नीचे एक सुरंग और एक नहर को खोजा था. यह सुरंग छत्तर मंजिल पैलेस को गोमती नदी से जोड़ता है और पानी ले आने के रास्ते को दिखता है। टीम के मुताबिक इस सुरंग के दोनों तरफ कई चैम्बर हैं। जिन्हें मोडूलर ईंटों की सहायता से बंद किया हुआ है। संरक्षण आर्किटेक्ट कुमार कार्तिकेय के मुताबिक या तो इन चैम्बरों को ब्रिटिश काल में बंद किया गया या तो सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट ने इसे बंद किया. आगे की खुदाई में अन्य रहस्य भी सामने आएंगे।

उसके बाद हुई खुदाई के बाद अब यह बात सामने आयी है कि फ्रेंच आर्किटेक्ट का बेमिसाल नमूना छत्तर मंजिल पैलेस के नीचे पूरा एक शहर बसा हुआ था।

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