बता दें, रालोद के खाते में बिजनौर व बागपत सीट गई हैं। ऐसे में अब दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारने जोरदार चर्चा शुरू हो गई है। अब तक यह कयास लगाए जा रहे थे कि रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह खुद बागपत लोकसभा सीट (Baghpat Seat in Lok Sabha Election 2024) से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि वह खुद राज्यसभा सदस्य बने रह सकते हैं और पत्नी चारू चौधरी को बागपत हॉट सीट से चुनावी मैदान में उतार सकते हैं।
बागपत सीट के इतिहास और चुनावी समीकरण की बात करें तो साल 1998 को छोड़कर साल 2014 तक लगातार इस सीट पर किसानों के बड़े नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और उनके परिवार का कब्जा रहा है। साल 1977 में चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) ने पहली बार इस सीट से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। और उनके बाद 1989 में उनके बेटे चौधरी अजित सिंह ने उनकी विरासत को कायम रखते हुए यहां से जीत दर्ज की और वह 1997 तक सांसद बनें रहे।
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1998 में उलटफेर की स्थिति हुई और सोमपाल शास्त्री ने उनको पटकनी दे दी। इसके बाद 1999 में हुए चुनाव में अजित सिंह ने दुबारा जीत हासिल की और 2014 तक लगातार सीट को अपने पाले में रखा। फिर बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सत्यपाल सिंह ने उनको हराया और यह सीट दो बार से लगातार बीजेपी के खाते में है। इस तरह इस सीट की विरासत ज्यादातर जयंत और उनके परिवार ने संभाली है। इसलिए बागपत को उनकी पैतृक सीट मानते हुए बीजेपी ने जयंत पर भरोसा जताया है। चर्चा है कि यहां से जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary in Lok Sabha Election) इस बार अपनी पत्नी चारू चौधरी को चुनावी मैदान में उतार सकते हैं। सूत्रों के अनुसार यदि चारू इस सीट से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो किसी पुराने जाट नेता को मौका दिया जा सकता है। फिलहाल, रालोद की ओर से इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। इस मुद्दे पर अभी रालोद में मंथन हो रहा है। यह भी पढ़ें
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वहीं रालोद के खाते में दूसरी लोकसभा सीट (Bijnor Lok Sabha Seat) के रूप में बिजनौर है। वहां पर भी प्रत्याशी के चेहरे को लेकर रालोद में तैयारीयां चल रही हैं। चूंकि बिजनौर सीट पर गुर्जर वोटरों की संख्या अधिक है तो ऐसा माना जा रहा है कि बिजनौर से गुर्जर चेहरे पर दांव खेला जा सकता है।