रायबरेली छोड़ इस सीट से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी, कांग्रेस ने अंतिम मौके पर बदली रणनीति
1998 में उलटफेर की स्थिति हुई और सोमपाल शास्त्री ने उनको पटकनी दे दी। इसके बाद 1999 में हुए चुनाव में अजित सिंह ने दुबारा जीत हासिल की और 2014 तक लगातार सीट को अपने पाले में रखा। फिर बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सत्यपाल सिंह ने उनको हराया और यह सीट दो बार से लगातार बीजेपी के खाते में है। इस तरह इस सीट की विरासत ज्यादातर जयंत और उनके परिवार ने संभाली है। इसलिए बागपत को उनकी पैतृक सीट मानते हुए बीजेपी ने जयंत पर भरोसा जताया है। चर्चा है कि यहां से जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary in Lok Sabha Election) इस बार अपनी पत्नी चारू चौधरी को चुनावी मैदान में उतार सकते हैं। सूत्रों के अनुसार यदि चारू इस सीट से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो किसी पुराने जाट नेता को मौका दिया जा सकता है। फिलहाल, रालोद की ओर से इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। इस मुद्दे पर अभी रालोद में मंथन हो रहा है।बीजेपी ने अपने पुराने चेहरों पर खेला दांव, कई उम्मीदवार लगाएंगे हैट्रिक तो कई जीत का सिक्सर
वहीं रालोद के खाते में दूसरी लोकसभा सीट (Bijnor Lok Sabha Seat) के रूप में बिजनौर है। वहां पर भी प्रत्याशी के चेहरे को लेकर रालोद में तैयारीयां चल रही हैं। चूंकि बिजनौर सीट पर गुर्जर वोटरों की संख्या अधिक है तो ऐसा माना जा रहा है कि बिजनौर से गुर्जर चेहरे पर दांव खेला जा सकता है।