भारत का संविधान कहता है कि किसी व्यक्ति को उसके जाति से न पुकारे, लेकिन इसके बावजूद भी लोग ऐसा करते हैं। सरेआम किसी दलित व्यक्ति को अपमानित कर देते हैं। अब इसी अपमानित शब्द को एक व्यक्ति ने आइडिया बना लिया और एक बड़ा ब्रांड बना लिया। आइए जानते हैं उस शख्स के बारे में…
देश में दलितों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द ‘चमार’ का यूज कर मुंबई के धारावी में एक युवक ने ‘चमार स्टूडियो’ शुरू किया। इस स्टूडियो को शुरू करने वाले का नाम सुधीर राजभर है। सुधीर अपने इस स्टूडियो में फैशनेबल हैंड बैग और टोटे बैग आदि बनाते हैं।
कौन है सुधीर राजभर आइए जानते हैं?
सुधीर राजभर उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं। सुधीर जब गांव जाते थे, तो उन्हें अपमानित करने के लिए जातिसूचक शब्द सुनने को मिलता था। वैसे तो उनका पालन पोषण मुंबई में हुआ है। मुंबई से ही उन्होंने ड्रॉइंग और पेंटिंग में ग्रेजुएशन किया है।
सुधीर राजभर उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं। सुधीर जब गांव जाते थे, तो उन्हें अपमानित करने के लिए जातिसूचक शब्द सुनने को मिलता था। वैसे तो उनका पालन पोषण मुंबई में हुआ है। मुंबई से ही उन्होंने ड्रॉइंग और पेंटिंग में ग्रेजुएशन किया है।
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गांव में अपमानित शब्द सुनने के बाद सुधीर ने जातिसूचक शब्द चमार के प्रति सम्मान वापस लाने के लिए इसे ब्रांड बनाने का फैसला लिया। चमार जाति के लोग आमतौर पर चमड़े का काम करते हैं। इसलिए सुधीर ने चमड़े का काम शुरू किया और चमार नाम का एक ब्रांड बनाया। स्टूडियो में प्रोडक्ट्स की कीमत 6000 रुपए तक है
सुधीर राजभर ने साल 2018 में चमार स्टूडियो की शुरुआत की थी। उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि मैंने मुंबई में अधिकतर दलित मोची के साथ कामकाज की शुरुआत की। वह फुटपाथ पर अपना स्टॉल लगाकर काम करते हैं। जब धीरे-धीरे चमार स्टूडियो का काम बढ़ने लगा तो धारावी की कुछ टेनरी में लेदर के क्राफ्ट्समैन से उनकी मुलाकात हुई। इसके बाद से फैशनेबल हैंड बैग और टोटे बैग बनाना शुरू कर दिया। राजभर के चमार स्टूडियो के लेदर प्रोडक्ट्स की कीमत 1500 से 6000 रुपए तक है।
सुधीर राजभर ने साल 2018 में चमार स्टूडियो की शुरुआत की थी। उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि मैंने मुंबई में अधिकतर दलित मोची के साथ कामकाज की शुरुआत की। वह फुटपाथ पर अपना स्टॉल लगाकर काम करते हैं। जब धीरे-धीरे चमार स्टूडियो का काम बढ़ने लगा तो धारावी की कुछ टेनरी में लेदर के क्राफ्ट्समैन से उनकी मुलाकात हुई। इसके बाद से फैशनेबल हैंड बैग और टोटे बैग बनाना शुरू कर दिया। राजभर के चमार स्टूडियो के लेदर प्रोडक्ट्स की कीमत 1500 से 6000 रुपए तक है।
कई बड़े शोरूम में उपलब्ध है चमार स्टूडियो के प्रोडक्ट्स
शुरुआत में सुधीर कपड़े के बैग बनाते थे। फिर उन्होंने चमार शब्द के सम्मान को लोगों के बीच लाने का फैसला किया। चमार स्टूडियो से लोगों को यह समझाने में आसानी हो रही है कि चमार कोई जाति नहीं बल्कि एक पेशा है। सुधीर के चमार स्टूडियो के प्रोडक्ट छोटे स्टोर से लेकर कई बड़े शोरूम में उपलब्ध है।
शुरुआत में सुधीर कपड़े के बैग बनाते थे। फिर उन्होंने चमार शब्द के सम्मान को लोगों के बीच लाने का फैसला किया। चमार स्टूडियो से लोगों को यह समझाने में आसानी हो रही है कि चमार कोई जाति नहीं बल्कि एक पेशा है। सुधीर के चमार स्टूडियो के प्रोडक्ट छोटे स्टोर से लेकर कई बड़े शोरूम में उपलब्ध है।
चमार स्टूडियो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है। सुधीर के चमार स्टूडियो प्रोडक्ट अमेरिका, जर्मनी और जापान में भी बिकते हैं। अभी तक सुधीर ने चमार स्टूडियो को किसी स्टोर की शक्ल नहीं दी है, लेकिन जल्द ही वह स्टोर खोलने पर विचार कर सकते हैं। इंस्टाग्राम पर चमार स्टूडियो का 26 हजार से अधिक फॉलोअर्स है।