ये भी पढ़ें- Chaitra Navratri 2021 : नवरात्रि व्रत में महिलाएं इन बातों का रखें विशेष ख्याल, हर मनोकामना होगी पूरी इस दिन मां आदिशक्ति भवानी के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री का पूजन होता है और कन्या पूजन होता है। इसके बाद नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत का पारण किया जाता है। चैत्र नवरात्रि में पड़ने वाली नवमी बेहद खास होती है। आज आपको बताते हैं कि अष्टमी और नवमी पर क्या है शुभ मुहूर्त व क्या है कन्या पूजन विधि-
– चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 20 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार को मध्य रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर 21 अप्रैल 2021 दिन बुधवार को मध्यरात्रि में 12 बजकर 43 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
– फिर चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 21 अप्रैल को मध्यरात्रि 12 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 22 अप्रैल 2021 मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ये भी पढ़ें- नवरात्र विशेष : 51 शक्तिपीठ में से एक है देवीपाटन मंदिर, नवरात्री में देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु पूजा करने का सही समय- 20 अप्रैल 2021 को अष्टमी तिथि पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें- – तो ब्रह्म मुहूर्त- 20अप्रैलसुबह 4 बजकर 11 मिनट से अप्रैल 2021 सुबह 04 बजकर 55 मिनट तक रहेगा
– अभिजित मुहूर्त- 20 अप्रैल 2021 सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा – गोधूलि मुहूर्त- 20 अप्रैल 2021 शाम 06 बजकर 22 मिनट से शाम बजकर 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा
– विजय मुहूर्त- 20 अप्रैल 2021 दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से शाम 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगा – अमृत काल- मध्यरात्रि 01बजकर17 मिनट से 21 अप्रैल 2021 तड़के 02 बजकर 58 मिनट तक अप्रैल रहेगा
21 अप्रैल 2021 शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त- 21अप्रैल 2021 की सुबह 04 बजकर 10 मिनट से, उसी सुबह 04 बजकर 54 मिनट तक विजय मुहूर्त 21 अप्रैल 2021 दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा
गोधूलि मुहूर्त 21 अप्रैल 2021 की शाम 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा निशिता मुहूर्त 21 अप्रैल की रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 22 अप्रैल की सुबह 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा
रवि योग मुहूर्त 21 अप्रैल 2021 की शाम 07 बजकर 59 मिनट से 22 अप्रैल की शाम 05 बजकर 39 मिनट तक रहेगा इस विधि से करें कन्या पूजन- – नवरात्रि पर कन्याओं को आमंत्रित करना आवश्यक होता है इसलिए एक दिन पहले ही नौ कन्याओं और एक लड़के को आमंत्रित कर लें।
– सभी नौ कन्याओं व लड़के के पैर स्वच्छ जल से धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं। – इसके बाद सभी कन्याओं का रोली, कुमकुम, अक्षत से तिलक करें। – इसके बाद गाय के उपले को जलाकर उसकी अंगार में लौंग, कपूर व घी डालें।
– फिर कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में से कुछ पूजा स्थान पर अर्पित करें। – अब सभी कन्याओं और लांगुरिया को भोजन परोसे। – जब कन्याएं भोजन कर लें तो उन्हें प्रसाद के रूप में फल, जैसा इच्छा हो, उस हिसाब से दक्षिणा, या उनके इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं प्रदान करें।
– सभी कन्याओं के पैल छूकर उनका आशीर्वाद लें। – अंत में सभी कन्याओं को विदा करें, उनके पर जल के छींटें डाले। उन्हें विदा करें।