बी.चंद्रकला इसी वर्ष मई में अपने मूल कॉडर यानी उप्र लौटी हैं। इसके पहले वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार में तैनात थीं। उनका लखनऊ में योजना भवन के पास हैवलॉक रोड पर सफायर अपार्टमेंट में आवास है। वह अपार्टमेंट के फ्लैट नम्बर 101 में रहती हैं। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी चंद्रकला की पहली पोस्टिंग हमीरपुर जिले में जिलाधिकारी के पद पर की गई थी। तब इनके ऊपर खनन घोटाले के आरोप लगे थे। शनिवार को सीबीआइ की छापेमारी में बी.चंद्रकला के आवास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। सीबीआइ की आधा दर्जन टीम सुबह ही उनके पर पहुंच गयी। बीते आठ महीने से इस मामले में सीबीआइ दस्तावेजी शिकंजा कस रही थी।
हमीरपुर और जालौन में भी सीबीआई की छापेमारी लखनऊ के अलावा सीबीआइ की एक टीम ने हमीरपुर में भी छापेमारी की। टीम ने यहां के 2 बड़े मौरंग कारोबारियों-एमएलसी रमेश मिश्रा और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजीव दीक्षित के घरों पर छापेमारी की। इसके अलावा सीबीआइ ने जालौन के उरई में बालू घाट संचालकों के प्रतिष्ठानों पर भी छापा मारा । यहां करन सिंह व रामअवतार राजपूत के घर जांच की गयी। मौरंग व्यवसायी के घरों में अलमारियों के ताले तोडऩे के साथ सीबीआइ सोफा व बेड को खोलकर तलाशी ली। सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम इन जिलों में कार्यवाही की।
2015 में दायर हुआ था मामला
आरोप है कि आईएएस चन्द्रकला ने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। जबकि ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी। बताया जाता है कि इनमें अनियमितता बरती गयी। वर्ष 2015 में हमीरपुर में अवैध रूप से मौरंग खनन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिए थे। इस मामले में याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी थे। उनके मुताबिक मौरंग खदानों पर पूरी तरह से रोक लगाने के बाद भी हमीरपुर जिले में अवैध खनन खुलेआम किया गया। 28 जुलाई, 2016 को तमाम शिकायतें और याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई को अवैध खनन की जांच सौंप दी थी। इन अवैध खनन पट्टों को लेकर स्थानीय लोगों ने बड़ा प्रदर्शन भी किया था।
आरोप है कि आईएएस चन्द्रकला ने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। जबकि ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी। बताया जाता है कि इनमें अनियमितता बरती गयी। वर्ष 2015 में हमीरपुर में अवैध रूप से मौरंग खनन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिए थे। इस मामले में याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी थे। उनके मुताबिक मौरंग खदानों पर पूरी तरह से रोक लगाने के बाद भी हमीरपुर जिले में अवैध खनन खुलेआम किया गया। 28 जुलाई, 2016 को तमाम शिकायतें और याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई को अवैध खनन की जांच सौंप दी थी। इन अवैध खनन पट्टों को लेकर स्थानीय लोगों ने बड़ा प्रदर्शन भी किया था।
हमीरपुर में थी चंद्रकला की पोस्टिंग
अखिलेश यादव की सरकार में आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला की पोस्टिंग पहली बार हमीरपुर में जिलाधिकारी के पद पर हुई थी। इस दौरान उन पर आरोप लगे कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। जबकि ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चंद्रकला ने इनकी अनदेखी की थी। यह अवध खनन घोटाला अखिलेश यादव की सरकार के दौरान हुआ था। इस छापेमारी से अखिलेश यादव की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अखिलेश यादव की सरकार में आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला की पोस्टिंग पहली बार हमीरपुर में जिलाधिकारी के पद पर हुई थी। इस दौरान उन पर आरोप लगे कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। जबकि ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चंद्रकला ने इनकी अनदेखी की थी। यह अवध खनन घोटाला अखिलेश यादव की सरकार के दौरान हुआ था। इस छापेमारी से अखिलेश यादव की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सोना व नकदी बरामद सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने छापेमारी के दौरान जालौन में खनन विभाग के सेवानिवृत्त लिपिक रामअवतार सिंह के ठिकानों से करीब दो करोड़ रुपये नकद तथा लगभग दो करोड़ रुपये का सोना बरामद किया है। इसके अलावा हमीरपुर के तत्कालीन खनन अधिकारी मोइनुद्दीन के आवास से करीब 12.5 लाख रुपये तथा लगभग 1.8 किलो सोना बरामद किया है।
तेजतर्रार आफीसर के रूप में पहचान
बी.चंद्रकला की पहचान तेजतर्रार और ईमानदार अफसर के रूप में हैं। तेलंगाना राज्य के करीमनगर जिले की रहने वाली बी.चंद्रकला बुलंदशहर, मेरठ, हमीरपुर और मथुरा समेत तमाम जिलों में बतौर डीएम पोस्ट रहीं। इस दौरान वह अपने कार्यों को लेकर काफी चर्चा में थीं। वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहती हैं। बीते दिसंबर में उन्होंने लखनऊ मेट्रो के सफर के दौरान अपनी सेल्फी सोशल मीडिया पर डाली थी, जो कि काफी चर्चित रही थी। साल 2014 में भी उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जब वह बुलंदशहर की डीएम थीं। उस वीडियो ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी थी। इसमें वह कार्यों को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए दिखी थीं। उनकी तस्वीरों को लोग इतना पसंद करते हैं कि वह जैसे ही अपने फेसबुक पोस्ट पर अपनी कोई तस्वीर डालती हैं, वह तुरंत ही वायरल हो जाती है। यहां तक कि वह अपनी तस्वीरों पर लाइक्स पाने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी सहित कई बॉलीवुड सितारों को भी पीछे छोड़ चुकी हैं।