लखनऊ

देश में पहली बार 4 लाख का आपरेशन सिर्फ 30 हजार में, चीरा लगा न पसली कटी, एक सुराख से कैंसर ठीक

– आहार नली में कैंसर रोगियों का इलाज अब केवल एक छेद से किया जा सकेगा।
– ऑपरेशन में छाती पर बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
– न ही पसलियां काटनी होंगी।

लखनऊMay 30, 2019 / 01:30 pm

आकांक्षा सिंह

देश में पहली बार 4 लाख का आपरेशन सिर्फ 30 हजार में, चीरा लगा न पसली कटी, एक सुराख से कैंसर ठीक

लखनऊ. आहार नली में कैंसर रोगियों का इलाज अब केवल एक छेद से किया जा सकेगा। ऑपरेशन में छाती पर बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न ही पसलियां काटनी होंगी। अभी तक यह ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक तकनीक से किया जाता था, जिसमें चार सुराख करने पड़ते थे। लेकिन अब नई तकनीक में एक महीन सुराख से ही ऑपरेशन किया जा सकेगा। केजीएमयू के डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से चार की जगह एक छेद कर आहार नली के कैंसर का इलाज कर नया कीर्तिमान बनाया है। केजीएमयू के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने एक महीन सुराख से सफल ऑपरेशन करने में कामयाबी हासिल की है। दावा है कि इस तरह का ऑपरेशन देश में पहली बार हुआ और देश के किसी भी चिकित्सा संस्थान में अब तक इस तरह का प्रयोग नहीं किया गया। ऑपरेशन के बाद मरीज की सेहत में तेजी से सुधार भी हो रहा है। इस तकनीक से ऑपरेशन में केवल 30 हजार रुपए का ही खर्च आया, जबकि इससे पहले इस सर्जरी में चार लाख का खर्च आता था।


दरअसल सीतापुर निवासी मुन्नालाल को कुछ समय से खाना और पानी निगलने में परेशानी हो रही थी। परिवार वालों ने उन्हें स्थानीय अस्पताल में दिखाया और वहां से डॉक्टरों ने केजीएमयू रेफर कर दिया। यहां सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉक्टर शिवराजन में आहार नली के कैंसर की आशंका जाहिर की। सीटी स्कैन और दूसरी जांचों में कैंसर की पुष्टि हुई। डॉक्टर शिवराजन ने बताया कि तीन चरणों में ऑपरेशन किया गया है। छाती में एक सुराख करके इससे दूरबीन, कॉर्टी और ग्रासफर दाखिल कराया गया। फिर गले में चीरा लगाकर आहार नली काटी गई। इस पर सिर्फ 30 हजार खर्च हुए।


फेफड़े के नीचे आहारनाल कई नसों से घिरा होता है। इन नसों से बचाकर कैंसर संक्रमित आहारनली निकालना बड़ी चुनौती थी। इसी वजह से लैप्रोस्कोपिक तकनीक में चार छेंद किए जाते थे। चारों में अलग-अलग औजार डाले जाते थे। लेकिन इस सर्जरी में केवल एक ही छेंद किया गया था। इसीलिए इसमें कैंसरग्रस्त आराहनाल को निकालना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसमें पेट में बिना गैस भरे सीने में सिर्फ एक सुराख से सर्जरी की। एक ही छेंद होने की वजह से ध्यान केंद्रित रहा और बेहद सावधानी से आहारनाल को अलग किया गया। ऑपरेशन करीब 7 घंटे चला।


आहार नली का काम
आहार नली मुंह से पेट तक भोजन ले जाने का काम करती है। जब यह नली कैंसर ग्रसत हो जाती है तो इसे इसोफेगस कैंसर कहते हैं। 40 से 50 साल की आयु के लोगों में यह अधिक पाया जाता है। ऐसे लक्षण होने पर तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर से इसकी जांच करवानी चाहिए। एंडोस्कोपी के माध्यम से इसकी पहचान की जा सकती है।

तकनीक के फायदे
एक सुराख से ऑपरेशन में दर्द कम होता है। जल्द ही जीवन सामान्य हो जाता है। खून का रिसाव नहीं होता। खून चढ़ाने की जरूरत कम पड़ती है। दवाओं का खर्च कम हो जाता है। एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाएं कम खानी पड़ती हैं।

आहारनाल में कैंसर के लक्षण
खाना निगलने में तकलीफ हो सकती है। खाना खाते समय ठसका लगना, खांसी आना। समस्या बढ़ने पर पानी निकलने में भी तकलीफ हो जाती है। तुरंत विशेषज्ञ से जांच कराएं। 45 से 50 साल के लोगों में अधिक पाया जाता है यह कैंसर।

इन डॉक्टरों की टीम ने किया ऑपरेशन
डॉक्टर शिवराजन, सीनियर रेजीडेंट डॉ सत्यव्रत दास, डॉ शशांक, डॉ पुनीत, डॉ अजहर, एनेस्थीसिया टीम में डॉ दिनेश सिंह और डॉ शशांक। नर्सिंग स्टाफ में सिस्टर कृष्णा, उत्तम सिंह और सुनील।

Hindi News / Lucknow / देश में पहली बार 4 लाख का आपरेशन सिर्फ 30 हजार में, चीरा लगा न पसली कटी, एक सुराख से कैंसर ठीक

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.