कैंसर जागरूकता में डॉ. सूर्यकांत का योगदान
25 वर्षों से सक्रिय योगदान, डॉ. सूर्यकांत पिछले 25 वर्षों से फेफड़े के कैंसर, टीबी, अस्थमा, एलर्जी और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने में सक्रिय हैं। उन्होंने अपने लेखों, वार्ताओं, टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों को इन बीमारियों से बचाव और उपचार के प्रति शिक्षित किया है।नए साल के जश्न का कहर: 448 लोग अस्पताल पहुंचे, कई गंभीर, ट्रॉमा सेंटर में अफरा-तफरी
फेफड़े के कैंसर पर शोध और लेखनउन्होंने फेफड़े के कैंसर पर 50 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और इस विषय पर दो महत्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी हैं। धूम्रपान निषेध क्लीनिक की स्थापना
साल 2012 में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में “धूम्रपान निषेध क्लीनिक” की स्थापना की। इसके साथ ही फेफड़े के कैंसर के मरीजों के लिए विशेष क्लीनिक भी शुरू किया।
डॉ. सूर्यकांत के नेतृत्व में केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग देशभर में फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए अग्रणी बन गया है। यहां गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
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अंतरराष्ट्रीय पहचान और शोध कार्यविश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों में स्थान
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका द्वारा डॉ. सूर्यकान्त को विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट
उन्होंने 2 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट अपने नाम किए हैं।
900+ शोध पत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित।
23 किताबें चिकित्सा विज्ञान पर लिखी।
50 से अधिक शोध परियोजनाओं का निर्देशन। सम्मान और फैलोशिप
अब तक 210 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। 22 फैलोशिप और 19 ओरेशन अवार्ड उनके नाम हैं।
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प्रमुख पदों पर भूमिकाइंडियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष।
नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन्स (एनसीसीपी) के अध्यक्ष।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष।
वर्तमान में 20+ जर्नल्स के संपादकीय बोर्ड के सदस्य। डॉ. सूर्यकांत का सामाजिक योगदान
उन्होंने फेफड़े के कैंसर, धूम्रपान और अन्य श्वसन रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए न केवल शैक्षणिक योगदान दिया बल्कि सामाजिक स्तर पर भी कई अभियानों का नेतृत्व किया।