बसपा के फैसले से त्रिकोणीय बना मुकाबला
BSP सुप्रीमो मायावती एक-एक लोकसभा सीट पर सियासी और जातीय समीकरण के हिसाब से ऐसे उम्मीदवारों पर दांव लगा रही है जो बसपा को मजबूत स्थिति में ले जाने का दम रखता हो। यूपी की कई लोकसभा सीटों पर बसपा के कैंडिडेट एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों के लिए मुश्किल खड़ी करते दिख रहे हैं। इसकी वजह से कई संसदीय सीटों पर लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। मायावती की रणनीति ने बढ़ाई बीजेपी सपा की मुश्किलें
बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से अब 78 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दी हैं। इनमें से ज्यादातर सीटों पर मायावती ब्राह्मण और मुस्लिम कार्ड खेलते नजर आईं हैं। अगर बसपा प्रत्याशियों की लिस्ट पर नजर डाले तो BSP ने 78 सीटों में से अब तक 23 मुस्लिम और 15 ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
मायावती को ब्राह्मण-मुस्लिम कैंडिडेटस् पर भरोसा
मायावती इस बार के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण और मुस्लिम प्रत्याशियों पर अधिक भरोसा जताते हुए दिख रही है। इनके अलावा उन्होंने 8 क्षत्रिय और चार यादव समाज से आने वाले उम्मीदवारों को भी चुनावी मैदान में उतारा है। इसके साथ ही BSP ने 4 महिलाओं को भी टिकट दिया है। मायावती बिछा रही 2007 वाली जाल
BSP प्रमुख मायावती का हमेशा से ब्राह्मण-मुस्लिम कार्ड पर जोर रहा है। मायावती की इस चाल को सोशल इंजीनियरिंग के तौर पर देखा जा रहा है। मायावती इस समीकरण के सहारे 2007 में पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में सरकार बना चुकी है। वह अब एक बार फिर इसी फॉर्मूले को अपनाती हुई दिख रहे हैं। इसमें दलित, मुस्लिम के साथ ब्राह्मण समाज को जोड़ने की कवायद देखी जा सकती है। 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह काफी अहम रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।