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उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि अच्छे नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ तैयार करने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। मानकों के खिलाफ चलने वाले संस्थानों को बंद किया जायेगा। गुणवत्ता से किसी भी दशा में समझौता नहीं किया जाएगा। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों के माध्यम से सभी नर्सिंग कॉलेजों को निर्देशित किया जा चुका है। सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हो रही परीक्षा उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन निरामया: के अंतर्गत नर्सिंग- पैरामेडिकल की शिक्षा में उच्च स्तरीय बदलाव के लिए परीक्षा प्रक्रिया को और सख्त बनाया जा रहा है। परीक्षा की निगरानी बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। परीक्षाओं की निगरानी सीसीटीवी से कराई जा रही है। प्रदेश भर के कॉलेज (परीक्षा केंद्रों) में 550 सीसीटीवी कैमरों लगाए गए हैं। इनकी निगरानी में तकरीबन 73000 छात्रों की परीक्षा देते वक्त निगरानी हुई है। परीक्षा में पारदर्शिता व ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए और भी कदम उठाये जा रहे हैं।
छह हफ्ते में परिणाम नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ की परीक्षा के छह सप्ताह के भीतर परिणाम घोषित किया जाएगा। जिसके बाद मरीज पंजीकरण कराकर अस्पतालों में सेवा दे सकेंगे। परीक्षा के परिणाम में किसी भी दशा में लेटलतीफी नहीं होगी।
इलाज में गलती की आशंका कम होगी बृजेश पाठक ने कहा कि गुणवत्तापरक नर्सिंग व पैरामेडिकल तैयार होने का सीधा फर्क इलाज पर पड़ेगा। मरीजों को फायदा होगा। इलाज में नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ की तरफ से गलती होने की आशंका कम होगी। बेहतर इलाज से मरीज जल्द ठीक होंगे।