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शुरुआती दिनों में सहकारिता विभाग को कोई तवज्जों नहीं देता था, लेकिन जब 1977 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पहली बार सहकारिता मंत्री बनें तो उन्होंने सहकारिता को अपना हथियार बना लिया। उन्होंने इसके तहत किसानों, मजदूरों को संगठित किया, उन्हें लोन दिलाया, बैंक स्थापित करवाए, लैंड डेवलपमेंट (Land Development) व इससे जुड़े ऐसे तमाम काम करवाए जिससे देखते ही देखते सहकारिता विभाग की अहमियत बढ़ा गई। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अपनी राजनीति में सहकारिता का खूब उपयोग किया। सहकारी आंदोलन ने किसानों को और प्रदेश को आर्थिक तरक्की भी दी।
शुरुआती दिनों में सहकारिता विभाग को कोई तवज्जों नहीं देता था, लेकिन जब 1977 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पहली बार सहकारिता मंत्री बनें तो उन्होंने सहकारिता को अपना हथियार बना लिया। उन्होंने इसके तहत किसानों, मजदूरों को संगठित किया, उन्हें लोन दिलाया, बैंक स्थापित करवाए, लैंड डेवलपमेंट (Land Development) व इससे जुड़े ऐसे तमाम काम करवाए जिससे देखते ही देखते सहकारिता विभाग की अहमियत बढ़ा गई। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अपनी राजनीति में सहकारिता का खूब उपयोग किया। सहकारी आंदोलन ने किसानों को और प्रदेश को आर्थिक तरक्की भी दी।
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सहकारिका विभाग का असर ऐसा था कि जब मुलायम मुख्यमंत्री रहे, तब भी इस विभाग को वो अपने पास रखते थे या फिर अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को दे देते थे। मुलायम सिंह यादव की जितनी मजबूत पकड़ सहकारिता विभाग में रही है वैसी आज तक किसी और नेती की नहीं हुई है। आज यूपी में 7500 सहकारी समितियां हैं, जिसके लगभग एक करोड़ सदस्य हैं। यहीं कारण है कि भाजपा की इस पर नजर है। भाजपा अब इन्हीं समितियों के सदस्यों के सहारे अपना विस्तार करना चाह रही है।
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मुलायम के बाद शिवपाल सिंह यादव की सहकारिता में मजबूत पकड़ मानी जाती है। वे वर्तमान में यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के सभापति भी हैं, वहीं उनके पुत्र आदित्य यादव प्रादेशिक सहकारी संघ के चेयरमैन हैं। भाजपा अब शिवपाल की पार्टी प्रसपा के कब्जे वाले पदों पर निगाहें टिकाएं हुए है। ऐसा लोकसभा चुनाव तक नहीं था क्योंकि तब भाजपा को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था। शिवपाल की तरफ भाजपा नरम थी, लेकिन अब राजनीतिक दृष्टि से भाजपा उनको नुक्सान पहुंचा सकती है।
मुलायम के बाद शिवपाल सिंह यादव की सहकारिता में मजबूत पकड़ मानी जाती है। वे वर्तमान में यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के सभापति भी हैं, वहीं उनके पुत्र आदित्य यादव प्रादेशिक सहकारी संघ के चेयरमैन हैं। भाजपा अब शिवपाल की पार्टी प्रसपा के कब्जे वाले पदों पर निगाहें टिकाएं हुए है। ऐसा लोकसभा चुनाव तक नहीं था क्योंकि तब भाजपा को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था। शिवपाल की तरफ भाजपा नरम थी, लेकिन अब राजनीतिक दृष्टि से भाजपा उनको नुक्सान पहुंचा सकती है।
भाजपा दिख रही मजबूत- 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व सहकारिता के पशुधन, दुग्ध विकास, हथकरघा जैसे क्षेत्रों में इलेक्शन होने हैं। यहां भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को संलग्न करने में जुट गई है। सहकारिता में जहां-जहां चुनाव हुए हैं, वहां भाजपा का कब्जा दिखाई दे रहा है। वहीं समितियों का चुनाव सितंबर में होना है, जिस पर पार्टी की निगाहें टिकी हुई हैं।