स्वतंत्र देव सिंह यूं तो पूर्वांचल के मिर्जापुर के रहने वाले हैं लेकिन इनकी कर्मभूमि जालौन है। सिंह की शादी झांसी में हुई है। बुंदेलखंड में उन्होंने लंबे समय तक आरएसएस और भाजपा के लिए काम किया है। विद्यार्थी परिषद में भी यह सक्रिय रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उप्र में खासकर पूर्वाचल में जिस तरह से जातीय राजनीति का उभार तेज हुआ है उसे साधने के लिए ही स्वतंत्र देव को जिम्मेदारी दी गयी है। अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा जैसे दल पिछड़ों की ही राजनीति करते हैं। अपना दल को कुर्मियों की पार्टी कहा जाता है। हालांकि, अपना दल भाजपा की सहयोगी पार्टी है। लेकिन, पूर्वी उप्र में इसका उभार तेजी से हो रहा है। इसलिए भाजपा स्वतंत्र देव की ताजपोशी करके किसानों और पटेलों को भी खास संदेश देना चाहती है। इसके पहले विंध्याचल क्षेत्र से ही राजनाथ सिंह और ओम प्रकाश सिंह भी भाजपा अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। देखना होगा यूपी में संगठन और सरकार को साथ में लेकर चलने में स्वतंत्र देव सिंह कितने सफल होते हैं। सरकार और संगठन का सूत्र वाक्य सबका साथ सबका विकास के साथ अब स्वतंत्र देव को सबका विश्वास जीतना भी बड़ी चुनौती होगी। यदि इसमें वह सफल हुए तो भविष्य में उन्हें इससे भी बड़ी जिम्मेदारियां मिलना तय है।
उत्तर प्रदेश में बंपर जीत के बाद बिना चुनाव लड़े भाजपा के कुछ नेता मंत्री बनाए गए थे जिनमें से स्वतंत्र देव सिंह भी थे। इन्हें बाद में विधान परिषद का सदस्य बनाया गया। अभी तक यह योगी सरकार में परिवहन विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इन्होंने 1988-89 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संगठन मन्त्री के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पटेल को कड़ी मेहनत एवं संघर्षशील स्वभाव के लिए जाना जाता है। इसी कारण संगठन में इन्हें लोकप्रियता हासिल हुई। 1991 में यह भाजपा कानपुर के युवा शाखा के युवा मोर्चा के प्रभारी बने। 1994 में भारतीय जनता पार्टी के बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा शाखा के प्रभारी के रूप में कार्य किया। जल्द ही इन्हें पार्टी ने सन् 1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया। पुन: 1998 में भाजपा युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रेसीडेण्ट भी बने। इसके बाद 2004 में विधान परिषद के सदस्य चुने गये तथा इसी वर्ष भारतीय जनता पार्टी उप्र के प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई में 2004 से वर्ष 2014 तक दो बार महामन्त्री और 2010 में उपाध्यक्ष और फिर 2012 में महामन्त्री बनाये गए थे। अब इन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।