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लखनऊ

स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे भाजपा की है बड़ी रणनीति, पूर्वांचल-बुंदेलखंड को साधने की है कवायद

स्वतंत्र देव सिंह की सत्ता और संगठन पर समान रूप से पकड़ है। इसके साथ ही उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से गहरा जुड़ाव रहा है।

लखनऊJul 16, 2019 / 05:08 pm

Abhishek Gupta

Modi Swatantra

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लखनऊ. यूपी में भाजपा (BJP) ने संगठन में बड़ा बदलाव कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय (Mahendra Nath Pandey) की जगह योगी सरकार के परिवहन मंत्री (Transport Minister) स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष (BJP UP President) बना दिया गया है। डॉ. पांडेय के रूप में एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Cenral Minister) में शामिल होने के बाद प्रदेश में नए अध्यक्ष का बनना तय था। अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। स्वतंत्र देव सिंह की सत्ता और संगठन पर समान रूप से पकड़ है। इसके साथ ही उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से गहरा जुड़ाव रहा है। हालांकि उप्र में विधानसभा का चुनाव करीब तीन वर्ष बाद है लेकिन, सिंह की तैनाती चुनावी पृष्ठभूमि के आधार पर ही की गयी है।
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इनका भी नाम था शामिल-

परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह के अलावा प्रदेश महामंत्री विद्या सागर सोनकर और प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में था। लेकिन सिंह के पक्ष में समीकरण ज्यादा मजबूत थे। इसलिए उनकी ताजपोशी की गयी है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मौर्य के नेतृत्व में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता। उनके उप मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे डॉ. महेंद्र पाण्डेय को 31 अगस्त 2017 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। पांडेय के लिए कहा जाता है कि उन्होंने ब्राह्मण समीकरण मजबूत किया और इसका फायदा भाजपा को लोकसभा में मिला। आम चुनावों में दलितों, पिछड़ों को लेकर जबर्दस्त लामबंदी हुई थी। पार्टी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही पिछड़ों को आगामी विधानसभा में भी लामबंद करना चाहती है। विधान सभा चुनाव की तैयारी में पार्टी अभी से जुट जाना चाहती है। इसलिए पिछड़ा वर्ग के पटेल जाति से संबंध रखने वाले स्वतंत्र देव सिंह को जिम्मेदारी दी गयी है।
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Swatantra Dev
पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक साथ साधेंगे-
स्वतंत्र देव सिंह यूं तो पूर्वांचल के मिर्जापुर के रहने वाले हैं लेकिन इनकी कर्मभूमि जालौन है। सिंह की शादी झांसी में हुई है। बुंदेलखंड में उन्होंने लंबे समय तक आरएसएस और भाजपा के लिए काम किया है। विद्यार्थी परिषद में भी यह सक्रिय रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उप्र में खासकर पूर्वाचल में जिस तरह से जातीय राजनीति का उभार तेज हुआ है उसे साधने के लिए ही स्वतंत्र देव को जिम्मेदारी दी गयी है। अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा जैसे दल पिछड़ों की ही राजनीति करते हैं। अपना दल को कुर्मियों की पार्टी कहा जाता है। हालांकि, अपना दल भाजपा की सहयोगी पार्टी है। लेकिन, पूर्वी उप्र में इसका उभार तेजी से हो रहा है। इसलिए भाजपा स्वतंत्र देव की ताजपोशी करके किसानों और पटेलों को भी खास संदेश देना चाहती है। इसके पहले विंध्याचल क्षेत्र से ही राजनाथ सिंह और ओम प्रकाश सिंह भी भाजपा अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। देखना होगा यूपी में संगठन और सरकार को साथ में लेकर चलने में स्वतंत्र देव सिंह कितने सफल होते हैं। सरकार और संगठन का सूत्र वाक्य सबका साथ सबका विकास के साथ अब स्वतंत्र देव को सबका विश्वास जीतना भी बड़ी चुनौती होगी। यदि इसमें वह सफल हुए तो भविष्य में उन्हें इससे भी बड़ी जिम्मेदारियां मिलना तय है।
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Swatantra Dev Singh
विद्याथी परिषद के संगठन मंत्री से कॅरियर की शुरुआत
उत्तर प्रदेश में बंपर जीत के बाद बिना चुनाव लड़े भाजपा के कुछ नेता मंत्री बनाए गए थे जिनमें से स्वतंत्र देव सिंह भी थे। इन्हें बाद में विधान परिषद का सदस्य बनाया गया। अभी तक यह योगी सरकार में परिवहन विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इन्होंने 1988-89 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संगठन मन्त्री के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पटेल को कड़ी मेहनत एवं संघर्षशील स्वभाव के लिए जाना जाता है। इसी कारण संगठन में इन्हें लोकप्रियता हासिल हुई। 1991 में यह भाजपा कानपुर के युवा शाखा के युवा मोर्चा के प्रभारी बने। 1994 में भारतीय जनता पार्टी के बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा शाखा के प्रभारी के रूप में कार्य किया। जल्द ही इन्हें पार्टी ने सन् 1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया। पुन: 1998 में भाजपा युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रेसीडेण्ट भी बने। इसके बाद 2004 में विधान परिषद के सदस्य चुने गये तथा इसी वर्ष भारतीय जनता पार्टी उप्र के प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई में 2004 से वर्ष 2014 तक दो बार महामन्त्री और 2010 में उपाध्यक्ष और फिर 2012 में महामन्त्री बनाये गए थे। अब इन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।

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