डॉ पाण्डेय ने पूछा कि मायावती को अपनी अशिष्ट, भ्रष्टाचार व दलितों का उत्पीड़न और भाजपा के दलित व गरीब हितैषी कार्यक्रम, योजनाएं, कार्य व भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पाप क्यों लगता है? डॉ पाण्डेय ने कहा कि पार्टी का टिकट बेचने के आरोपों के दाग वाली मायावती ने सत्ता हासिल करने के लिए दलितों व गरीबों के साथ ही छल किया। अकूत धन इकट्ठा करने के लिए मायावती ने अपनी पार्टी में दलितों का ही हक मारा और अपनी ही पार्टी के दलित व पिछड़े नेताओं को अपमानित करते हुए बाहर जाने पर विवश किया। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी के बुजुर्ग व वरिष्ठ दलित नेताओं को जमीन पर बिठाकर और हिटलर की तरह तानाशाही असभ्य, अलोकतांत्रिक व भ्रष्ट व्यवहार करने वाली मायावती किस मुंह से सवाल उठा रही हैं? भ्रष्टाचार, हिटलरशाही व आम जनता, गरीबों का शोषण करने वाली मायावती को सभ्यता, संसदीय परंपरा और ईमानदारी की परिभाषा सीखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ये वही मायावती हैं, जो दलितों में भेद करती हैं। पश्चिम बंगाल व केरल में बड़े पैमाने पर दलितों की हत्याएं हो रही हैं लेकिन दलितों को वोट बैंक समझने वाली मायावती ने इन दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आज तक एक शब्द भी नहीं बोला है। केवल भाजपा ही ऐसा राजनीतिक दल है, जो इन दलितों के साथ न केवल खड़ा है, बल्कि उनके लिए सड़क से लेकर विधानसभा व संसद तक संघर्ष कर रहा है। पूरे देश की जनता और सर्व समाज के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह के दलितों, पिछड़ों व आम लोगों को राजनैतिक अधिकार दिलाकर लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के प्रयासों में न केवल विश्वास करते हैं, बल्कि समर्थन दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान और सबका साथ सबका विकास की नीति से घबराए और बौखलाए विपक्ष के षडयंत्रों का उत्तर जनता देगी।
उन्होंने कहा कि सपा, बसपा व कांग्रेस ने अपने राज में दलितों को असहाय व दीनहीन बना डाला ताकि वोट बैंक के लिए उन्हें भीड़ की तरह हांका जा सके। मायावती को जवाब देना चाहिए कि जहां आम दलित और गरीब की आर्थिक हालत उनके समय में खराब हुई, वहीं उनके व उनके भाई के पास हजारों करोड़ की दौलत कहां से आ गई? जिस धन पर दलितों का हक था, उस पर उन्होंने और उनके भाई ने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझकर कब्जा कैसे कर लिया? जिन टिकटों पर दलितों व गरीबों का हक था, उन टिकटों को गैर दलित धन्ना सेठों को देकर मायावती ने दलितों को राजनीतिक अधिकार देने से वंचित क्यों किया?