पंचायत चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की अगर बात करें तो विधान परिषद के चुनाव के बाद अब पंचायत के चुनाव में भी बीजेपी को यहां शिकस्त मिली है। वाराणसी में जिला पंचायत की 40 में से महज 8 सीटें ही बीजेपी के खाते में आई हैं। वहीं सपा के खाते में 14 सीटें और बीएसपी के खाते में 5 सीटें आई हैं। अयोध्या और मथुरा के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर में भी बीजेपी को सपा से कड़ा मुकाबला मिला है। अयोध्या की 40 सीटों में बीजेपी को केवल 6 ही मिली हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने 24 सीटें हासिल की हैं, जबकि मायावती की बीएसपी के खाते में 5 सीटें आई हैं। मथुरा की 33 सीट में से बीजेपी को 8 सीटें मिली हैं। यहां नंबर एक पार्टी के रूप में बीएसपी रही है, जिसे 13 सीट मिली हैं। अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी के खाते में एक-एक सीट आई हैं। गोरखपुर की 68 सीटों में बीजेपी और समाजवादी पार्टी, दोनों ने 20-20 सीटें हासिल की है। जबकि निर्दलीयों ने 23 सीटों पर कब्जा किया। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और निषाद पार्टी को एक-एक और बीएसपी को दो सीटें मिली हैं।
भाजपा की हार का बड़ा कारण
राजनीतिक जानकारों की अगर मानें तो इस बार के पंचायत चुनावों में जाति आधारित खेमेबाजी ने भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है। भाजपा कार्यकर्ता अपनी ही सरकार में उपेछित होने का आरोप लगाते रहे हैं। भाजपा के गढ़ों से ऐसी शिकायतें ज्यादा मिल रही थीं। इसके अलाव उम्मीदवारों के चयन में भी विधायकों और सांसदों का हस्तक्षेप बढ़ने से कार्यकर्ता नाराज थे और थोपे गए उम्मीदवारों को वह स्वीकार नहीं कर पाए। भाजपा के अंदर ही ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के अलग-अलग गुट उभरने की बात भी सामने आ रही है। इससे भी पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। इस बार बीजेपी अपने बागियों को मनाने में भी ज्यादा हद तक कामयाब नहीं हो पाई। यही वजह रही की दर्जनों जिलों में बागियों ने बीजेपी कैंडिडेट को नुकसान पहुंचाया है। कई जिलों में यह भी देखा गया कि उम्मीदवारों को पार्टी का साथ नहीं मिल पाया। वे आखिरी तक अपने ही दम पर लड़ते दिखाई पड़े। इसके अलावा एंटीइंकम्बैंसी फैक्टर बी इस बार के पंचायत चुनावों पर हावी दिखा। लोगों ने सपा-बसपा के अलावा निर्दलीयों का भी साथ दिया। 41 फीसदी सीटें निर्दलीयों और अन्य के खाते में गई हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका
यूपी में 8.69 लाख से ज्यादा त्रिस्तरीय पंचायत सीटों के चुनाव राज्य में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का परीक्षण माने जा रहे हैं। इसके लिए बीजेपी, सपा और बसपा समेत सभी राजनीतिक दलों ने कई महीने पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। भाजपा ने हर जिले में प्रभारी नियुक्त किये थे। सपा ने किसान आंदोलन का समर्थन करने के साथ ही, किसान चौपाल जैसे कार्यक्रम चलाए थे। बीजेपी के बड़े नेताओं के गढ़ में ही पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। इनमें सीएम योगी का क्षेत्र गोरखपुर, पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी शामिल है। वहीं अयोध्या में भाजपा को राम मंदिर के निर्माण के चलते बड़े फायदे की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रामनगर में भी उसे हार का मुंह देखना पड़ा है।