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लखनऊ

Operation Kaveri : बिंदा प्रसाद ने चूमी धरती फिर रोते हुए सुनाई सूडान की दहशत भरी दास्तां, बोले-कई दिन रहा भूखा

Operation Kaveri : सूडान में इन दिनों चल रहे गृहयुद्घ में फंसे भारतीयों को अपने देश लाया जा रहा है। वहां से लौटने वालों की दर्द और दहशत भरी दास्तां सुनकर कलेजा कांप जाता है।

लखनऊApr 29, 2023 / 01:23 pm

Vishnu Bajpai

Binda reached India from Sudan under Operation Kaveri told experience
Operation Kaveri : ‘मौत कान के बगल से सनसनाती हुई गुजरे तो कैसा लगता है? यह पहली बार महसूस किया। भूख, डर और बेबसी के यह नौ दिन जिंदगी में कभी नहीं भूल पाऊंगा। सर… छह बेटियां हैं मेरी… शायद उन्हीं के नसीब से बच कर आ गया हूं। भारत की सेना.. मोदी और योगी… बस यही हमारे प्राणों के रखवाले बन गए…। यह उन्नाव के गांव विजयीखेड़ा के बिंदा प्रसाद की कही बातें हैं। सूडान की राजधानी खार्तूम से लौटने पर सबसे पहले उन्होंने वतन की माटी माथे पर रगड़ी और रो पड़े।
सूडान के खार्तूम में ओमेगा स्टील में जेनरेटर ऑपरेटर थे बिंदा
बिंदा खार्तूम में भारतीय कंपनी ओमेगा स्टील के जेनरेटर आपरेटर थे। सूडान में हिंसा न हो रही होती तो वह 25 मई को लौटते। बिटिया सोनी की शादी के लिए। उन्होंने कहा, ‘तीन जून को बिटिया की बारात आनी है। वहां मेरी छाती पर जो रायफलें तनी थीं… वो चल जातीं तो सोनी को कौन विदा करता..।’
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उन्होंने बताया कि कंपनी में दो सौ भारतीय थे। मैं तीसरे फ्लोर पर रहता था। 15 अप्रैल की शाम फौजी वर्दी में दंगाई आ गए। दरवाजे तोड़ कर अंदर घुसे।

कनपटियों पर रायफल और पिस्टल की नाल गड़ा दी
कनपटियों पर रायफल-पिस्टल की नाल गड़ा दी। मोबाइल, करेंसी, घड़ी सब छीन लिए। कपड़े तक नहीं छोड़े। मेरे पास एक लाख सूडानी पाउंड थे, बिटिया के लिए कुछ खरीदारी की थी, सब लूट लिया। 15 से 23 अप्रैल तक कभी दो मुट्ठी चावल तो कभी एक कटोरी दाल खाकर जिंदगी बचाई।
वे हमारी कंपनी की 11 बड़ी-बड़ी गाड़ियां, मशीनें, एसी-पंखे तक उठा ले गए। दूतावास भी एक हफ्ते तक मदद न कर पाया। जब हमारी सेना पोर्ट तक पहुंच गई, तभी हम सबमें बचने का भरोसा जागा। हमें जेद्दा से दिल्ली लाया गया।
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गोले बरसे तो दहल उठे कलेजे
फतेहपुर के मलवां निवासी अजय भी ओमेगा स्टील में हाइड्रा मशीन चलाते थे। उन्होंने बताया कि हमलावरों ने हमारी फैक्ट्री के बगल में बने फौजी कैंप पर इतने बम बरसाए कि मौत सामने नजर आने लगी। हमारे गेस्ट हाउस में घुसे तो कुछ नहीं छोड़ा। मेरी छाती पर एके-47 जैसी रायफल रख दी। मेरे पास 200 डॉलर और 15 हजार सूडानी पाउंड थे। सब दे दिए। मोबाइल भी छीन लिए। एक वक्त जरा सा भोजन करके सांसें बचाईं। भारत की सेना और पीएम-सीएम ने हमारी जिंदगी बचा ली।
सूडान से आए 27 लोग कानपुर में ठहराए गए
सूडान से बचा कर लाए गए 27 भारतीय गुरुवार सुबह कानपुर पहुंचे। डीएम नोएडा की कॉल पर अफसरों ने उन्हें सचेंडी के ढाबे में ठहराया। भोजन और विश्राम के बाद उन्हें रवाना किया गया। इनमें कानपुर, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, प्रयागराज आजमगढ़ और बलिया के लोग थे। इन 27 लोगों को लेकर बस दिल्ली एयरपोर्ट से चली थी।
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सुबह 940 बजे सभी कानपुर पहुंचे। एडीएम सिटी अतुल कुमार, सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय विजय प्रताप सिंह ने उनके लिए व्यवस्थाएं कीं। रोडवेज बस चालक अशोक कुमार सभी को लेकर निकला। अशोक ने बताया कि बलिया तक के लोग बस में थे। सभी को सकुशल घर पहुंचा दिया गया। वे डरे हुए थे और सभी को घर जाने की जल्दी थी।

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