पहली बार हुई पूरी तरह से बर्फ गायब
स्थानीय लोगों के मुताबिक उनकी जानकारी में यह पहला मौका था जब ओम पर्वत से पहली बार पूरी तरह बर्फ गायब हुई है। क्षेत्रवासी कृष्णा गर्ब्याल कहते हैं कि वर्ष 2014 और 2018 में भी ओम पर्वत से बर्फ पिघली थी, लेकिन तब भी पर्वत से बर्फ पूरी तरह से गायब नहीं हुई थी। उनका कहना है कि अगर बर्फ को पिघलने से रोकना है, तो ओम पर्वत से कुछ किलोमीटर पहले ही वाहनों का ठहराव तय करना होगा।
तापमान में बढ़ोत्तरी से पिघल रही बर्फ
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल के मुताबिक तापमान का बढ़ना हिमालय में बर्फ पिघलने का प्रमुख कारण है। वाहनों की संख्या बढ़ने से भी तापमान बढ़ता है। इसलिए हिमालय के सभी इको सेंसिटिव जोन में भार और वाहन क्षमता का निर्धारण जरूरी है। कितने वाहन और कितने यात्री वहां आ सकते हैं, इसका पता लगाकर ही इसका सही उपयोग हो सकता है।
फायर सीजन में कार्बन ने भी पहुंचाया नुकसान
फायर सीजन में जले जंगलों से पैदा कार्बन ने भी हिमालय को काफी नुकसान पहुंचाया था। उत्तराखंड में वनाग्नि के कारण हिमालय में कार्बन की परत जम गई थी। वनाग्नि से भी हिमालय को लगातार नुकसान पहुंच रहा है। इससे वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। उत्तराखंड में इस साल 26 अगस्त तक दावाग्नि की 1276 घटनाओं में 1771.66 हेक्टेयर जंगल जला और जंगल की आग 12 जिंदगियां लील गई। इससे निकली कार्बन ने भी पूरे हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित किया और इसका असर ओम पर्वत पर भी पड़ा।