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सैलरी रोकने का आदेश क्यों दिया गया
ARTO अधिकारी हर महीने सरकार से वेतन लेते हैं, लेकिन सरकार द्वारा तय किए गए शमन शुल्क वसूली के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे। चंद्रभूषण सिंह ने साफ कहा कि यह अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सरकार द्वारा तय किए गए राजस्व लक्ष्यों को समय पर पूरा करें, जिससे सरकारी खजाने को कोई नुकसान न हो। जब इन अधिकारियों ने अपने काम में लापरवाही बरती और शमन शुल्क के निर्धारित आंकड़े से काफी पीछे रहे, तो आयुक्त ने उनकी सैलरी रोकने का सख्त फैसला लिया। यह भी पढ़ें
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वित्तीय घाटे से नाराजगी
सरकारी खजाने को हो रहे वित्तीय नुकसान से नाराज परिवहन आयुक्त ने अधिकारियों के प्रदर्शन की गहन समीक्षा की। जिन 53 जिलों के ARTO अधिकारियों को यह सजा दी गई है, उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे अपने कार्य में तेजी लाएं और निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करें। यदि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से नहीं निभाते हैं, तो यह कार्रवाई भविष्य में भी जारी रह सकती है।परिवहन विभाग की सख्त नीति
उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग ने राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। इसमें वाहनों से शमन शुल्क वसूलना और अन्य स्रोतों से राजस्व प्राप्त करना शामिल है। जब अधिकारी निर्धारित लक्ष्यों को पूरा नहीं करते, तो यह न सिर्फ विभाग की साख पर असर डालता है, बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह भी पढ़ें
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आगे का रास्ता
अब ARTO अधिकारियों को अपनी सैलरी प्राप्त करने के लिए तय किए गए शमन शुल्क की वसूली में तेजी लानी होगी। यह साफ संकेत है कि भविष्य में परिवहन विभाग अधिकारियों के प्रदर्शन पर कड़ी निगरानी रखेगा। परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने यह भी कहा कि अगर अधिकारी भविष्य में लक्ष्यों को पूरा नहीं करेंगे, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।सरकार की मंशा स्पष्ट
इस फैसले से यह साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी, खासकर तब जब यह राज्य के राजस्व और वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा रहा हो। यह कदम अन्य विभागों के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि वे अपने काम में गंभीरता और पारदर्शिता से कार्य करें। यह भी पढ़ें