मायावती ट्विटर और प्रेसवार्ता तक ही सीमित हैं, लेकिन चंद्रशेखर सड़कों पर उतरकर दलितों के मुद्दों को उठा रहे हैं। एससी-एसटी एक्ट का विरोध करना हो या फिर दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास की पुराने मंदिर को ध्वस्त करने का मामला, वह दलितों की आवाज बनने की कोशिश में हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चंद्रशेखर ने जिस तरह से दिल्ली में दलितों के विराट प्रदर्शन का नेतृत्व किया, बसपा खेमे की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। इसे मायावती ने भी समझा और आनन-फानन में दलितों के प्रदर्शन को बाबा साहेब के उसूलों के खिलाफ बताकर प्रदर्शन का विरोध किया। हाल ही में बसपा की बैठक में मायावती ने स्पष्ट संकेत दिये थे कि भीम आर्मी से नजदीकी रखने वाले नेताओं की पार्टी से छुट्टी कर दी जाएगी।