BBAU के दो अन्य छात्रों ने भी अब मेडल लेने से किया इंकार
कुलपति प्रो. आरसी सोबती पर दलित छात्रों का उत्पीड़न और गलत व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए BBAU के दो छात्रों ने मेडल लेने से इंकार कर दिया है। इन विद्यार्थियों ने दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिएं अपना रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया है।
विश्वविद्यालय के छात्र, साल 2016 के पास आउट व एमफिल मैनेजमेंट के गोल्ड मेडलिस्ट सुधाकर पुष्कर ने आरोप लगाया कि दलित विद्यार्थियों-अधिकारियों के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया जाता।
दलितों का उत्पीड़न है वजह
रामेंद्र ने 2013 से 2016 मास्टर इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में टॉप किया है। छात्र का कहना है कि वह विश्वविद्यालयों में दलित उत्पीड़न से परेशान है इस कारण से मेडल नहीं लेना चाहता। बीबीएयू के छात्र रहे रामेंद्र का कहना है कि दलित उत्पीड़न के न रुकने के कारण दलित समाज के साथ बीबीएयू में दलित छात्र व प्रोफ़ेसर दोनों परेशान हैं। मैं ऐसे मेडल को लेकर क्या करूंगा जब मेरे दलित भाईयों को हीनभावना से देखा जाता है और उनको विभिन्न ढंग से प्रताड़ित किया जाता है।” ऐसे में मेरा गोल्ड मेडल न लेना अपने आप में मेरे भाइयों के त्याग के लिए की जाने वाली कुर्बानी है। मैं विश्वविद्यालय द्वारा मेडल तभी स्वीकार करुंगा जब विश्वविद्यालय के साथ-साथ संपूर्ण भारत में दलितों को सम्मान और बराबरी की दृष्टि से देखा जाएगा।”
छात्र का हुआ था निष्काषन
रामेंद्र ने इस वर्ष बीएड में एडमिशन लिया था लेकिन रामेन्द्र नरेश समेत 8 छात्रों को बीबीएयू प्रशासन ने निष्कासित कर दिया था। रामेंद्र के मुताबिक दलित राष्ट्रपति होने के बावजूद दलितों की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। यही कारण है कि वह अपना गोल्ड मेडल नहीं लेना चाहते। बता दें कि 15 दिसंबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे।
यूनिवर्सिटी ने पलड़ा झाड़ा
यूनिवर्सिटी ने छात्र से पलड़ा झाड़ लिया है। यूनिवर्सिटी की मीडिया को-ऑर्डिनेटर प्रो. रचना गंगवार का कहना है कि राष्ट्रपति के हाथों केवल चार छात्रों को मेडल मिलेगा। इसमें रामेंद्र का नाम नहीं है। ऐसे में वो मेडल लेने आए या न आए ये जरूरी नहीं। यूनिवर्सिटी नहीं चाहता कि दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में कोई बाधा आए या कोई छात्र अनुशासन भंग करे। ऐसे छात्र दीक्षांत समारोह से दूर रही रहें तो बेहतर। अनुशासन बनाए रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
इस आधार पर चुना छात्रों को
मीडिया को-ऑर्डिनेटर प्रो. रचना गंगवार के मुताबिक समारोह में जिन चार मेधावियों को राष्ट्रपति मेडल देंगे, वह सभी एमएससी के छात्र हैं, जिसमें दो छात्र विकास चौरसिया और महेंद्र सत्र 2016 के हैं। वहीं रिचा वर्मा और मंजेश कुमार सत्र 2017 के छात्र हैं। इसमें भी जाति का ध्यान रखा गया है। हर सत्र से एक छात्र सामान्य वर्ग का चुना गया है, जबकि दूसरा छात्र एससी-एसटी वर्ग का चुना गया है, जिसे राष्ट्रपति मेडल से नवाजेंगे। सूत्रों के मुताबिक कई छात्र इस कार्यक्रम का विरोध कर सकते हैं इसी कारण यूनिवर्सिटी ने केवल चार छात्रों को राष्ट्रपति के हाथों मेडल दिलाने का फैसला लिया है।
पीएम के खिलाफ भी लगे हैं नारे
बीबीएएयू में दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध किया जा चुका है। मोदी तब दीक्षांत समारोह में आए थे। उस टाइम राम करन निर्मल और उनके साथियों ने मोदी गो बैक के नारे लगाए थे। उन दिनों रोहित वेमुला के सुसाइड का मामला गरमाया था। उसी को लेकर छात्रों ने विरोध जताया था। उन्होंने मोदी गो बैक के नारे लगाए थे। इस बार बीबीएयू सतर्कता बरत रहा है। वहीं छात्र इस बार दीक्षांत सामरोह में शामिल होंगे जिन्हें पास मिला होगा।
विवादों से पुराना नाता
बीबीएयू में महिलाओं संग शोषण के कई मामले सामने आए हैं और विवादों से तो इस यूनिवर्सिटी का चोली दामन का साथ रहा है। यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे कई स्कॉलर्स का आरोप था कि उन्हें लगातार मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। उनकी पीएचडी भी नहीं सब्मिट की जा रही है। होमसाइंस में पीएचडी कर रहीं तीन छात्रों का आरोप लगया था कि डिपार्टमेंट की एक प्रोफेसर उनका फाइनल थीसिस नहीं सब्मिट कर रही हैं जिस कारण उनकी पीएचडी नहीं पूरी हो पा रही। तीनों छात्राएं साल 2011 बैच की हैं। उनके मुताबिक, उन्होंने इस मामले में यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार से लेकर एचआरडी मिनिस्ट्री को भी पत्र लिखा है। यहां तक कि पीएम मोदी को भी इन छात्रों ने दो बार पत्र लिखकर अपनी स्थिति के बारे में बताया था। इसके अलावा पिछले दिनों विश्वविद्यालय के इन्वाइरनमेंट साइंस के प्रफेसर पर शोध छात्रा ने उत्पीड़न का आरोप लगाया था।