लखनऊ. पहले अारक्षण पर विवाद, फिर प्रोफेसर कांचा का बीफ पर बयान, इसके बाद नॉनवेज पर रोक और अब सोशल मीडिया पर भी शिकंजा, यह स्थिती है बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय(बीबीएयू) की। आए दिन यह यूनिवर्सिटी विवादों में घिरा रहता है। जेएनयू और जादवपुर यूनिवर्सिटी से ज्यादा यह यूनिवर्सिटी विवादों में है। यहां अब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर आंशिक रोक लगा दी है। प्रशासन का कहना है कि इससे कैम्पस का माहौल खराब हो रहा है। उन्होंने कैम्पस का वातावरण दूषित करने वाली किसी भी तरह की गतिविधि से छात्रों को दूर रहने के लिए कहा है। उधर, इस फरमान को कैम्पस में पिछले दिनों हुई घटनाओं से जोड़ कर देखा जा रहा है। जहां, विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने कई फरमानों को लेकर छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा है। आरोप है कि छात्रों की आवाज को दबाने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।
छात्रों से परिसर का माहौल खराब करने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल न होने की चेतावनी दी गई है। कहा गया है कि परिसर में सभा, बैठक, धरना, प्रदर्शन आदि बिना अनुमति नहीं करें। सोशल मीडिया पर भी ऐसी कोई अभिव्यक्त न करें जिससे परिसर का माहौल खराब हो। अगर कोई भी छात्र इस आदेश की अवहेलना करता पाया गया तो उसको नियमानुसर दण्डित किया जाएगा।
यह है सर्कुलर
तत्कालीन प्रॉक्टर कमल जायसवाल की ओर से जारी किए गए निर्देश में स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी का माहौल खराब करने वाली गतिविधियों में हिस्सा न लेने की सलाह दी गई है। स्टूडेंट्स को नियमों का उल्लंघन करने, कैंपस के वातावरण को खराब करने वाली गतिविधियों में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्रेरित करने से बचने को कहा गया है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी ऐसी किसी भी गतिविधि का प्रसार या गलत टिप्पणी पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन अपनी मनमर्जी चला रहा है। अभीव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही है। सोशल मीडिया पर जब सरकार की ओर से रोक नहीं तो यूनिवर्सिटी क्यों सर्कुलर जारी कर रहा है। प्रोफेसर कमल जायसवाल की इसमें अहम भूमिका है जबकि उन पर खुद कई आरोप हैं। स्टूडेंट्स पर रोक लगाने से पहले वह उस पर जवाब दें। – श्रेयत बौद्ध, छात्र , एमए (हिस्ट्री)
यह तानाशाही रवैया है यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट का। पहले नॉनवेज पर रोक, अब सोशल मीडियो को लेकर फरमान। दलितों को खासतौर से काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। -अनिल कुमार, छात्र, एमए (सोशलॉजी)
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने जैसी कोई बात नहीं कह रहे हैं। कुछ छात्र सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर यूनिवर्सिटी की छवि को खराब करने के लिए दुष्प्रचार का सहारा ले रहे हैं। इसे सही नहीं कहा जा सकता है। – प्रो. कमल जायसवाल, प्रवक्ता
नॉनवेज पर लगी थी रोक
बीते दिनों यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में नॉनवेज पर रोक लगा दी गई थी। इस पर छात्रों द्वारा आपत्ति किए जाने पर वीसी ने कहा था कि कैंटीन में नॉनवेज नहीं बनाया जाएगा लेकिन छात्र बाहर से लाकर खा सकते हैं।
बीफ पर हुआ था बवाल
अंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में हैदराबाद से आए प्रोफेसर कांचा इलयैया ने बीफ को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि बीफ खाने से दिमाग बढ़ता है। इस बयान की छात्रों ने काफी निंदा की थी। इसके बाद वीसी की ओर से इस कार्यक्रम की जांच करवाने के आदेश दिए गए थे।
रिजर्वेशन पर आए दिन बवाल
आरक्षण के मुद्दे को लेकर यूनिवर्सिटी में आए दिन बवाल होता रहता है। पिछड़ा जन कल्याण छात्र समिति की ओर से आरक्षण कोटे में ओबीसी छात्रों को शामिल किए जाने को लेकर कई दिनों से मांग करते आए हैं। इसके अलावा यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता कमल जायसवास पर भी कई आरोप हैं।
पीएम मोदी की विजिट के दौरान हंगामा
बीबीएयू के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने आए पीएम मोदी की स्पीच के दौरान भी हंगामा हो गया। दो छात्रों ने मोदी गो-बैक-गो बैक के नारे लगाए थे। इसको लेकर यूनिवर्सिटी की काफी किरकिरी हुई थी।
स्मृति ईरानी ने सुनाई थी खरी-खरी
यूनिवर्सिटी के फाउंडेशन डे पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचीं एचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने यूनिवर्सिटी के वीसी आरसी सोबती को खरी-खरी सुनाई थी। दरअसल वीसी साहब उस दौरान स्मृति का महिमा मंडन करने में लगे थे। उनके लिए कविता गा रहे थे। स्मृति ईरानी को यह पसंद नहीं आया, उन्होंने उसी वक्त वीसी को खरी-खरी सुना दी थी।