लखनऊ

काले धन को सुरक्षित रख रहीं बैंक, जानिए ‘सीक्रेट लॉकर’ में कैसे सहेजा जा रहा दो नंबर का पैसा

Secret Bank Locker for Black Money: प्रदेश की बैंकों में अब कालाधन को सुरक्षित रखा जा रहा है। सीक्रेट लॉकर की व्यवस्थी भी है। आयकर की खुफिया द्वारा इसका खुलासा हुआ।

लखनऊMay 13, 2022 / 05:47 pm

Snigdha Singh

Bank Securing Black Money in Secrets Bank Lockers

सरकार ने कालेधन को बाहर वाने के लिए नोटबंदी कर दी। लेकिन फिर से कालाधन एकत्रित हो गया। लेकिन खास बात ये है कि ये कालाधन कहीं और नहीं बल्कि बैंकों में ही एकत्रित है। सुरक्षित विदेशी ठिकाने भले ही मुश्किल में हों लेकिन देश में ही कई बैंकों में ‘स्विस लॉकर’ यानी ‘सीक्रेट लॉकर’ ऐसे हैं, जो खामोशी के साथ दो नंबर की रकम की हिफाजत कर रहे हैं। प्रदेश भर में यही खेल चलरहा। केवल कानपुर में बिना लिखापढ़ी के ऐसे 380 से ज्यादा लॉकरों का पता चला है, जिसकी जांच आयकर विभाग के साथ-साथ विजिलेंस को भी सौंपी गई है।
मनी लांड्रिंग और कालेधन की हिफाजत का खेल सबसे ज्यादा निजी बैंकों, कोऑपरेटिव बैंकों और ग्रामीण बैंकों में चल रहा है। गुप्त लॉकर कालेधन का बड़ा गढ़ है। ऐसे ही लॉकरों की तलाश में आयकर की खुफिया विंग और विजिलेंस को अहम सुराग मिले हैं। लॉकरों और खातों के इस खेल में पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़ने में भी बड़ी कामयाबी मिली है। इन सीक्रेट लॉकरों में रखे धन की हिफाजत की कोई लिखा-पढ़ी नहीं है। धन्नासेठों को निदेशक मंडल या बैंक में अन्य लाभरहित पदों पर इन्हें काबिज कराया जा रहा है। सूत्र के मुताबिक ऐसे ही किसी एक पद पर बैठे व्यक्ति के हवाले जुड़े सभी लॉकरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। इन सभी लॉकरों का एक कोड नंबर होता है।
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बड़े ग्राहकों के लिए है सीक्रेट लॉकर

आरबीआई की सख्त गाइडलाइंस की वजह से कोई भी बैंक ग्राहकों को जमा रकम पर मनमाना ब्याज नहीं दे सकता। आंख मूंदकर लोन नहीं बांट सकता। पहले इन्हीं ‘दो अस्त्रों’ के दम पर बड़े ग्राहकों को खींचा जाता था। अब इनकी जगह सीक्रेट लॉकर ने ले ली है। लॉकर में रखे कालेधन के एवज में उसका 50 फीसदी तक लोन दिया जा रहा है जिसके एवज में 24 फीसदी सालाना ब्याज वसूला जा रहा है। ये ब्याज बैंक कारोबारी के कालेधन से लेते हैं। दो तरफा ब्याज स फायदा उठा रहे।
लॉकरों की आड़ में कालेधन कैसे होती है हिफाजत

स्टाफ के परिजनों के नाम से लॉकर खोले गए, जिसमें पैसा-सोना दूसरे का रखा है। बेनामी लॉकर, जिसमें फर्जी आईडी से खोल दिया गया और चाबी दूसरे को दी गई है। सीक्रेट लॉकर, जिसका रजिस्टर में कोई रिकॉर्ड नहीं। इसके सीक्रेट कोड, जो केवल कालेधन के मालिक को मालूम हो।
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