पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वाराणसी से जुड़ी तमाम विभूतियों संस्थानों और विविध विषयों पर डाक विभाग ने समय-समय पर डाक टिकट और विशेष आवरण जारी किए हैं, जिनके माध्यम से आगामी पीढ़ियाँ भी अपनी समृद्ध संस्कृति व विरासत से रूबरू होंगी। बनारस रेशम पर भी वर्ष 2009 में डाक टिकट जारी हो चुका है। कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि बनारसी हथकरघा रेशम कला एक प्राचीन और गौरवशाली परम्परा है। हजारों वर्षों से यहाँ के बुनकरों ने बनारसी बिनकारी की मूल परम्परा को जीवित रखते हुए इसमें बहुत से प्रयोग भी किये हैं। एक जिला, एक उत्पाद के तहत भी बनारस में इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे में इस विशेष आवरण के माध्यम से बनारसी हैंडलूम सिल्क की प्रसिद्धि देश-दुनिया में और भी विस्तार पायेगी।
वाराणसी पूर्वी मण्डल के प्रवर अधीक्षक डाकघर सुमीत कुमार गाट ने बताया कि इस विशेष आवरण की कीमत ₹25 है और इसे फिलेटलिक ब्यूरो में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। सहायक निदेशक प्रवीण प्रसून ने कहा कि आज के बच्चों और युवा पीढ़ी को फिलेटली के माध्यम से अपनी संस्कृति और विरासत से जोड़ा जा सकता है। प्रयाग फिलाटैलिक सोसाइटी के सचिव राहुल गांगुली ने डाक विभाग द्वारा इस विशेष आवरण जारी किए जाने पर आभार व्यक्त किया और लोगों को फिलेटली से जुड़ने की अपील की।