कमिश्नर कोर्ट से भी झटका
राजा भैया की पत्नी ने इस मामले में कमिश्रर कोर्ट और राजस्व परिषद में अपील की थी। जांच में सामने आया कि भावनी सिंह ने भूमि क्रय करने के दो साल बाद भी उसका उपयोग नहीं किया। नियमानुसार जिस प्रायोजन के लिए उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोग जमीन खरीदते हैं, उसे दो साल के भीतर पूरा भी करना होता है। इसी को देखते हुए कमिश्नर कोर्ट और राजस्व परिषद ने भी राजा भैया को झटका दिया है। अब वह समस्त जमीन राज्य सरकार में निहित कर ली गई है। ये भी पढ़ें:-
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सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जल्द ही उत्तराखंड में कड़ा भू-कानून लागू करने के आदेश दिए हैं। साथ ही पिछले कुछ वर्षों में बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा यहां पर खरीदी गई जमीनों का ब्योरा भी तलब किया है। गुरुवार को ही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी सभी जिलाधिकारियों से इस संबंध में तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। दरअसल, उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोग अधिकतम सवा नाली जमीन ही खरीद सकते हैं। बावजूद इसके बाहरी राज्यों के लोग अलग-अलग नामों से यहां पर भारी मात्रा में जमीनों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। जमीनों को वह लोग लैंड बैंक के तौर पर भी प्रयोग कर रहे हैं। इस पर राज्य सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।