अयोध्या के हालात की बात यहां के रेलवे स्टेशन से शुरू करते हैं। आज से 7-8 साल पहले फैजाबाद रेलवे स्टेशन जिस हालत में था वैसे ही आज भी है। वही गंदगी, वैसे ही बंदरों का उत्पात और ट्रेनों की लेटलतीफी है। हां, दो नयी ट्रेन जरूर शुरू हुई हैं वे हैं बनारस के लिए इंटरसिटी और रामेश्वरम के लिए ट्रेन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अंतरराष्ट्रीय बस सेवा भी शुरू की थी जो अयोध्या से नेपाल के जनकपुरी चली थी। लेकिन, वह अब ठप है। स्टेशन के बाहर भी कोई बदलाव नहीं है। सिवाय इसके कि कुछ पुरानी इमारतों पर नया रंग रोगन नजर आता है। देश-विदेश से आने वाले यात्रियों को ठहरने की यहां बड़ी समस्या है। लेकन यूपी पर्यटन विभाग के साकेत होटल के अलावा कोई नया होटल नहीं बना। पुरानी धर्मशालाएं और भी जीर्णशीर्ण हो गयी हैं। रैन बसेरे जुए का अड्डा बन गए हैं या नशेडिय़ों का ठिकाना। बिड़ला धर्मशाला की बात छोड़ दें तो किसी भी धर्मशाला में नगरीय व्यक्ति नहीं ठहर सकता।
बजबजाती नालियां, अतिक्रमण का जोर
इन्फ्रास्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं। स्टेशन से श्रीराम अस्पताल तक सडक़ बजबजाती और टूटी हुई नालियां। बस स्टैंड को देखकर कहीं से यह नहीं लगता कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित किसी महानगर का बस स्टैंड है। जिस राम की पैड़ी पर दीपक जलाने का रिकार्ड कायम हुआ उसे राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में बनाया गया था। अब उसकी ईंट टूट-फूट गयी हैं। जगह-जगह से प्लास्टर उखड़ गया है। रेलिंग टूटी हुई हैं। कुल मिलाकर न तो पैड़ी और न ही घाट के सुंदरीकरण के लिए कोई कार्य हुआ है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं। स्टेशन से श्रीराम अस्पताल तक सडक़ बजबजाती और टूटी हुई नालियां। बस स्टैंड को देखकर कहीं से यह नहीं लगता कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित किसी महानगर का बस स्टैंड है। जिस राम की पैड़ी पर दीपक जलाने का रिकार्ड कायम हुआ उसे राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में बनाया गया था। अब उसकी ईंट टूट-फूट गयी हैं। जगह-जगह से प्लास्टर उखड़ गया है। रेलिंग टूटी हुई हैं। कुल मिलाकर न तो पैड़ी और न ही घाट के सुंदरीकरण के लिए कोई कार्य हुआ है।
सैकड़ो मंदिर जर्जर में
जिस मंदिर के लिए अयोध्या पूरी दुनिया में जानी जाती है। उनकी हालत तो और भी खराब है। रामलला तो जर्जर टेंट में हैं ही यहां कि सैकड़ों मंदिरों में से अधिसंख्य इतनी जर्जर हो गयी हैं कि वे कभी भी हादसे को आमंत्रण दे सकती है। यहां तक कि राम की पैड़ी के किनारे के मंदिर पुराने और खंडहर हो गये हैं। रंगाई पुताई करके इनकी इज्जत को बख्शा गया है। मंदिर की बात छोडि़ए यहां मोझ के लिए आने वाले शवों को भी दुर्दशा भुगतनी पड़ती है। अयोध्या में श्मशान घाट तक आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता। कच्चे रास्ते पर शवों को भी हिचकोले खाने पड़ते हैं। शहर की दशा और दिशा जिसको बदलने की जिम्मेदारी खुद उस नगर निगम का दफ्तर कहीं से नहीं लगता है कि यह मेयर का कार्यालय है।
इतनी विषमताओं के बावजूद एक बार फिर अयोध्या का मामला गरम है। कोई 2019 में ही मंदिर बनने की बात कर रहा है तो कोई विशेष अध्यादेश के जरिए मंदिर बनवाने का शिगूफा छोड़ रहा है। न तो विकास की कोई बात हो रही है। न ही अयोध्या में अच्छे दिन लौट आने की कोई चर्चा है। हां, भाजपा नेता अयोध्या के अच्छे दिन आने का सपना जरूर दिखा रहे हैं।
जिस मंदिर के लिए अयोध्या पूरी दुनिया में जानी जाती है। उनकी हालत तो और भी खराब है। रामलला तो जर्जर टेंट में हैं ही यहां कि सैकड़ों मंदिरों में से अधिसंख्य इतनी जर्जर हो गयी हैं कि वे कभी भी हादसे को आमंत्रण दे सकती है। यहां तक कि राम की पैड़ी के किनारे के मंदिर पुराने और खंडहर हो गये हैं। रंगाई पुताई करके इनकी इज्जत को बख्शा गया है। मंदिर की बात छोडि़ए यहां मोझ के लिए आने वाले शवों को भी दुर्दशा भुगतनी पड़ती है। अयोध्या में श्मशान घाट तक आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता। कच्चे रास्ते पर शवों को भी हिचकोले खाने पड़ते हैं। शहर की दशा और दिशा जिसको बदलने की जिम्मेदारी खुद उस नगर निगम का दफ्तर कहीं से नहीं लगता है कि यह मेयर का कार्यालय है।
इतनी विषमताओं के बावजूद एक बार फिर अयोध्या का मामला गरम है। कोई 2019 में ही मंदिर बनने की बात कर रहा है तो कोई विशेष अध्यादेश के जरिए मंदिर बनवाने का शिगूफा छोड़ रहा है। न तो विकास की कोई बात हो रही है। न ही अयोध्या में अच्छे दिन लौट आने की कोई चर्चा है। हां, भाजपा नेता अयोध्या के अच्छे दिन आने का सपना जरूर दिखा रहे हैं।
लंदन की तरह विकसित करने का दावा
अयोध्या को लंदन की तरह विकसित करने के दिवास्वप्र दिखाए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय रामलीला केंद्र, अंतरराष्ट्रीय बस स्टेशन, केबिल अंडरग्राउंड, हनुमानगढ़ी के प्रवेश व निकास द्वार, मुंडन स्थल, हनुमानगढ़ी, कनक भवन तक मार्ग नवीनीकरण, थीम पार्क, ओपेन एयर थियेटर,रामायण सर्किट थीम, रामकथा गैलरी, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग का सुंदरीकरण, अयोध्या सीवरेज जैसे कार्यों के लिए करोड़ों का बजट जारी किया गया है लेकिन धरातल पर कुछ नया होता नहीं दिखता। ऐसे में जनता में भी कोई अयोध्या के विकास को लेकर कोई उत्साह नहीं है। इसलिए एक बार फिर रामलला के सहारे भाजपा चुनाव में उतरने को आतुर है।
अयोध्या को लंदन की तरह विकसित करने के दिवास्वप्र दिखाए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय रामलीला केंद्र, अंतरराष्ट्रीय बस स्टेशन, केबिल अंडरग्राउंड, हनुमानगढ़ी के प्रवेश व निकास द्वार, मुंडन स्थल, हनुमानगढ़ी, कनक भवन तक मार्ग नवीनीकरण, थीम पार्क, ओपेन एयर थियेटर,रामायण सर्किट थीम, रामकथा गैलरी, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग का सुंदरीकरण, अयोध्या सीवरेज जैसे कार्यों के लिए करोड़ों का बजट जारी किया गया है लेकिन धरातल पर कुछ नया होता नहीं दिखता। ऐसे में जनता में भी कोई अयोध्या के विकास को लेकर कोई उत्साह नहीं है। इसलिए एक बार फिर रामलला के सहारे भाजपा चुनाव में उतरने को आतुर है।