योग्य है जमानत निरस्त किए जाने का फैसला अदालत ने कहा कि जमानत पर रिहा करने का मतलब यह नहीं है कि वह रिहा होने के बाद फिर अपराध करे। आरोपी को जमानत मिली, लेकिन वह आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा। पुलिस की आख्या के अनुसार 75 आपराधिक मुकदमे हैं। परिस्थितियों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए व उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों के प्रकाश में स्वीकृत जमानत निरस्त किए जाने योग्य है।
2006 में दर्ज कराई थी रिपोर्ट बता दें कि 2006 में विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह महेंद्र पटेल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसे अगवा कर लिया गया है। हत्याकांड में गवाही से मुकर जाने के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा है। वहीं, 20 जनवरी 2003 को धूमनगंज थाने पर हाजी मोहम्मद इस्लाम ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके रिश्तेदार अशरफ की हत्या कर दी गई। इस मामले में भी अतीक अहमद को बाद में जमानत मिल गई थी, लेकिन आरोप है कि उसने गवाहों को धमकाया।