लखनऊ

…तो क्या यूपी में बीजेपी की मदद करेंगे ओवैसी, आखिर योगी ने क्यों स्वीकारी ओवैसी की चुनौती

– योगी द्वारा असदुद्दीन ओवौसी (Asaduddin Owaisi) को बड़ा नेता बताने की क्या थी वजह- मुसलमानों के वोटबैंक को बांटने की योजना, सपा के वोटबैंक को तोडना ही प्रमुख वजह- एमआईएम चीफ ओवैसी ने किया बयान में सुधार,कहा-व्यक्तिगत नहीं पार्टी स्तर पर दी थी चुनौती- गाजी मियां की मजार पर माथा टेक, राजभर के वोटबैंक को भी पहुंचायी चोट

लखनऊJul 12, 2021 / 09:12 am

नितिन श्रीवास्तव

…तो क्या यूपी में बीजेपी की मदद करेंगे ओवैसी, आखिर योगी ने क्यों स्वीकारी ओवैसी की चुनौती

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly election 2022) में असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। वैसे तो ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का यहां कोई खास जनाधार नहीं है, लेकिन 18 फीसदी मुसलिम आबादी वाले यूपी में ओवैसी की के आने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। जैसे क्या ओवैसी बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए आए हैं। क्या वह बीजेपी की मदद करेंगे। क्योंकि ओवैसी मुसलमानों के वोटबैंक को बांटने का काम तो करेंगे ही, साथ ही सपा के वोटबैंक को भी तोड़ेंगे। जो बीजेपी को सीधा फायदा पहुंचाएगा। वहीं इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने असदुद्दीन ओवैसी को एक बड़ा नेता बता दिया। राजनीतिक गलियारों में सीएम योगी के इस बयान की खूब चर्चा हो रही है। सीएम योगी के इस बयान को यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़कर उसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।
एआईएमआईएम वोटकटवा पार्टी

दरअसल राजनीतिक जानकार एआईएमआईएम को वोटकटवा पार्टी मानते हैं। ओवैसी और उनकी पार्टी सीधे तौर पर मुसलमानों की राजनीति करती है। वे जिस तरह बीजेपी खुलेआम हिंदू सांप्रदायिक राजनीति करती है, उसी तरह एआईएमआईएम भी मुस्लिम कट्टरता की भाषा बोलती है। ऐसे में क्या ओवैसी यूपी में मुसलिम वोट में सेंधमारी करने में कामयाब होंगे। यह बड़ा सवाल है। हिन्दू बहुसंख्यकवाद की राजनीति के दबाव में आज कांग्रेस, सपा, बसपा, राजद जैसी पार्टियां मुसलमानों के मुद्दों पर खामोशी अख्तियार कर लेती हैं। ये पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप से डरती हैं। इस चुनावी रणनीतिक चुप्पी से मुसलिम तबका खफा है। ऐसे में ओवैसी खासकर मुस्लिम नौजवानों की पसंद बन रहे हैं।
सीएम योगी को किया चैलेंज

वहीं पिछले दिनों एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चैलेंज किया था, उसके बाद वह अपनी ही बात से पलट गए। अपने बयान पर सफाई देते हुए ओवैसी ने कहा कि उन्होंने योगी को निजी तौर पर चैलेंज देने की बात नहीं कही, बल्कि बात सियासी विरोध की है। हम अगर विरोध में हैं तो हम यही तो कहेंगे कि हम की सरकार नहीं बनने देंगे। उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर हम भागीदारी मोर्चा में हैं और ओमप्रकाश राजभर सभी दलों को अपने साथ जोड़ रहे हैं। सपा समेत विपक्ष के आरोपों पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम साथ लड़ेंगे, ऐसा क्यों लगता है कि बीजेपी की हम B टीम हैं। यह बात दूसरे दलों पर लागू नहीं होती क्या।
भाजपा का सुभासपा पर हमला

वहीं पूर्वी यूपी के कैंप कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद ओवैसी ने बहराइच शहर स्थित सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर मत्था टेका, तो भाजपा को ओमप्रकाश की सुभासपा पर हमला करने का एक और मौका मिल गया। भाजपा का कहना है सैय्यद सालार मसूद गाजी, भारत पर 17 बार आक्रमण करने वाले महमूद गजनवी का भांजा था। उसे बहराइच में 1034 में महाराजा सुहेलदेव ने पांच दिन तक चले भयंकर युद्ध में हराकर मार डाला था। ओमप्रकाश राजभर ने उस पार्टी के साथ गठबंधन किया है जो सुहेलदेव के दुश्मन को अपना आइकान मानती है। वहीं भाजपा के आरोपों के जवाब में राजभर ने पलटवार करते हुए हुए कहा है कि भाजपा को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। हालांकि राजभर ने गाजी मियां की मजार पर ओवैसी के मत्था टेकने पर कोई टीका टिप्पणी नहीं की है।
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