लखनऊ

अपनी मुस्कान से पूरे देश में बनाई पहचान, जानिए मेरठ के अरुण गोविल कैसे बने रामायण के राम?

Arun Govil : अपनी पूरी पढ़ाई मेरठ के ही चौधरी चरण सिंह कॉलेज से हुई है। इसके बाद वो अपना करियर बनाने मुंबई जा पहुंचे। यहीं से उनकी जिंदगी का सफर शुरू हुआ।

लखनऊMar 30, 2023 / 12:54 pm

Adarsh Shivam

Arun Govil

जब भगवान राम और रामायण का जिक्र होता है, तो हमारे चेहरे के सामने अरुण गोविल पहले आ जाते हैं। 90 के दशक की रामायण को आज भी काफी पसंद किया जाता है। इसके मुख्य किरदार अरुण गोविल को लोग आजतक नहीं भूले हैं।
रामायण से पहले अरुण गोविल ने कुछ फिल्मों में भी काम किया है। लेकिन उन्हें टीवी के प्रसिद्ध धार्मिक धारावाहिक रामायण ने पहचान मिली। क्या आप जानते हैं अरुण गोविल ‘रामायण’ के ‘राम’ कैसे बने? आइए जानते हैं के इनके बारें में कुछ खास बातें।
मेरठ के एक अग्रवाल परिवार में हुआ है जन्म
अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1952 को मेरठ के एक अग्रवाल परिवार में हुआ है। इनके पिता का नाम श्री चंद्रप्रकाश गोविल है। उनके पिता एक सरकारी अफसर थे। अरुण की मां का नाम शारदा देवी है। अरुण गोविल के पांच भाई और दो बहनें हैं। सभी भाई बहनों के बीच बहुत प्रेम है।
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अरुण की पूरी पढ़ाई मेरठ के ही चौधरी चरण सिंह कॉलेज से हुई है। इसके बाद वो अपना करियर बनाने मुंबई जा पहुंचे। यहीं से उनकी जिंदगी का सफर शुरू हुआ। अरुण मुंबई में काफी समय तक अपने बड़े भाई विजय गोविल के साथ रहे। यहां अरुण के पास अपना करियर बनाने का समय था।
अरुण गोविल ने चुना दूसरा रास्ता
अरुण के पास दो रास्ते थे पहला रास्ता था कि वो अपने भाई के बिजनेस में हाथ बटाएं जो कि बेहद ही सीधा और सरल रास्ता था। दूसरा रास्ता था अपनी भाभी तबस्सुम की तरह कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने का, जो कि थोड़ी कठिन राह थी। लेकिन अरुण ने यहां दूसरा रास्ता चुना।
अरुण गोविल की भाभी तबस्सुम फिल्म इंडस्ट्री का जाना पहचाना नाम हैं। तबस्सुम ने सालों तक बॉलीवुड में काम किया है। हालांकि इस बारे में अरुण के फैन्स नहीं जानते थे कि उनका और तबस्सुम का इतना गहरा रिश्ता है। साल 1977 में अरुण ने पहली फिल्म ‘पहेली’ की थी। हालांकि, इस फिल्म में अरुण का साइड रोल था। लेकिन अगली ही फिल्म ‘सावन को आने दो’ में उन्हें लीड रोल मिल गया।
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श्रीलेखा से हुआ प्यार साल 1979 में कर ली शादी
यहां से अरुण के करियर की गाड़ी चल पड़ी। फिल्म इंडस्ट्री में रहते हुए अरुण को श्रीलेखा से प्यार हो गया और दोनों ने 1979 में शादी कर ली। अरुण की पत्नी श्रीलेखा भी अभिनय की दुनिया से ही ताल्लुक रखती थीं। शादी से पहले श्रीलेखा ने कई फिल्मों में भी काम किया है। वैसे वो एक थियेटर आर्टिस्ट थीं।
अरुण गोविल को आज की जनरेशन भी करती है पसंद
फिर साल 1987-88 में रामानन्द सागर के निर्देशन में रामायण बना। उस दौरान अरुण ने भगवान राम के रूप में किरदार निभाए। उसी समय से अरुण लोगों के दिलों पर राज करना शुरू कर दिए। साल 2020 में जब लॉकडाउन लगा तो सरकार ने फिर से रामायण का प्रसारण शुरु किया। उस समय से लेकर आज तक लोगों ने अरुण गोविल के दमदार किरदार की तारीफ की है। आज की जनरेशन भी अरुण गोविल को बहुत पसंद करती हैं।
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अरुण गोविल रामायण के राम कैसे बने?
अरुण गोविल को रामायण का राम बनाने में मदद ताराचंद बड़जात्या और सूरज बड़जात्या ने की। रामानंद सागर ने अरुण गोविल को राम का किरदार देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सूरज बड़जात्या की बदौलत अरुण को यह रोल दिया गया। यह जानकारी एक इंटरव्यू में अरुण गोविल ने खुद बताया है।
उन्होंने बताया कि भगवान राम के किरदार के लिए ऑडिशन देने के बाद उन्हें पहले रिजेक्शन मिला। लेकिन, बाद में सूरज बड़जात्या ने उन्हें राम के किरदार के लिए लुक टेस्ट के दौरान अपनी स्माइल का इस्तेमाल करने की सलाह दी। अरुण ने भी सूरज बड़जात्या की बात पर अमल किया। बड़जात्या परिवार राजश्री प्रोडक्शन्स के मालिक थे और अरुण गोविल ने उनकी कई फिल्मों में काम किया था।
उनकी हसी एक दम भगवन जैसी सौम्य है
उन्होंने बताया कि उनकी हसी को कॉम्पलिमेंट दिया गया कि उनकी हसी एक दम भगवन जैसी सौम्य है। यही किरदार भगवान राम के रूप में एक दम फिट बैठ गया। इसके बाद से राम अका अरुण गोविल ने लोगों के दिलों पर राज करना शुरू किया था। इसमें कोई शक नहीं है कि आज भी लोग रामायण को उतना प्यार दे रहे हैं, जितना उस समय के दशक में दिया करते थे। जब-जब रामायण आता था तब-तब लोग टीवी के सामने अगरबत्ती जला कर बैठ जाया करते थे।

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