हमारे साथ विश्वासघात हुआ शिवपाल यादव ने कहा कि, पिछले कुछ महीने मेरे जीवन के सबसे कठिन समय थे। यह राजनीतिक धैर्य, त्याग, आत्म संयम और समाज की उम्मीदों की परीक्षा थी। आप सभी के भावनाओं और जनभावना का सम्मान करते हुए हमने खुले हृदय से सपा के साथ गठबंधन किया था, उसके प्रतिउत्तर में हमारे साथ विश्वासघात हुआ। इस घात का परिणाम यह है कि आज समाजवादी पार्टी विपक्ष में बैठी है।
यह भी पढ़ें – विधान परिषद चुनाव : स्वामी प्रसाद से अधिक अमीर हैं उनकी पत्नी, अन्य उम्मीदवारों के बारे में जानें राम के नाम पर नफरत की राजनीति नहीं शिवपाल यादव ने कहा कि प्रसपा प्रगतिशील समाजवाद व समावेशी राष्ट्रवाद के सिद्धांत के साथ आगे बढ़ेगी। राम के नाम पर विभाजन व नफरत की राजनीति की इजाजत किसी को नहीं है।
यह भी पढ़ें – Azamgarh by-election : दलित-मुस्लिम जुगलबंदी के सहारे आजमगढ़ फतह करना चाहती है बसपा शिवपाल अखिलेश के बीच बढ़ रही खटास साल 2017 से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच अनबन है। मुलायम सिंह यादव ने चुनाव 2022 से पहले दोनों के बीच मिठास पैदा कराई। भाजपा को हराने के मकसद से शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया। और अपनी पार्टी से किसी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। खुद भी वे सपा के टिकट से ही चुनाव लड़े थे। पर चुनाव के बाद शिवपाल और अखिलेश में दूरियां बढ़ती गई।