अयोध्या के लोग आगे बढ़ना चाहते हैं। हर कोई अब यहां आमूल-चूल बदलाव की उम्मीद पाले है। हिंसा-दंगा कोई नहीं चाहता। ऐतिहासिक फैसले के बाद बहुसंख्यक समुदाय ने जो संयम और अल्पसंख्यक समुदाय ने जिस तरह की दरियादिली दिखाई वह अपने आप में मिसाल है। अयोध्या के 13 अखाड़ों से बना संत या ऋषि समाज और यहां के धार्मिक नेता भी विकास के हिमायती हैं। लेकिन, अयोध्या का विकास और यहां की शांति अयोध्या ट्रस्ट पर निर्भर होगी। माना जा रहा है कानून और गृह मंत्रालय आंध्र के तिरुपति तिरुमला देवस्थानम की तर्ज पर एक स्वतंत्र ट्रस्ट अयोध्या के लिए भी बनाना चाहता है। तिरुपति ट्रस्ट दुनिया का सबसे धनी मंदिर ट्रस्ट है। यह कई कॉलेज और अस्पताल चलाता है। विकास के अनेक काम इसके जिम्मे हैं। जम्मू-कश्मीर के मां वैण्णो देवी ट्रस्ट या फिर गुजरात के सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के उदाहरण भी सामने हैं। जाहिर है जितना सुगठित और अनुशासित ट्रस्ट होगा उतना ही सुनियोजित और पारदर्शी तरीके से अयोध्या का विकास होगा।
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यह तय है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर दुनिया का सबसे आधुनिक और भव्य मंदिर होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान होगी। देश-दुनिया को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसलिए अयोध्या के विकास का खाका भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का ही होना चाहिए। राम के धाम में रोजगार का ध्यान न रखा गया तो आस्था के नाम पर बार-बार भीड़ नहीं जुटायी जा सकेगी। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पर्यटकों को भी नहीं जोड़ा जा सकेगा। इसलिए होटल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और नगर की संरचना विश्वस्तरीय करनी होगी। भ्रष्टाचार मुक्त आधुनिक सुविधाएं जुटाना योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। यदि योगी सरकार अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय स्तर का विकास कराने में सफल रहती है तभी सुमात्रा, जावा, थाईलैंड, बाली और इंडोनेशिया की तरह अयोध्या भी धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकेगी।