राजधानी के वृंदावन योजना में रहने वाली अपेक्षा सैम ने बताया कि पीएम मोदी जी का यह फैसला काबीले तारीफ है। वहीं मानसी ने बताया कि लड़कियों को इससे परिपक्व होने का मौका मिलेगा। इससे वह घर और परिवार के साथ ही खुद को संभाल सकेगी।
पवन दुबे ने बताया कि 18 वर्ष शादी की आयु 18 वर्ष होने की वजह से लड़कियों का बाल विवाह भी चोरी छिपे किया जाता था। अब 21 वर्ष आयु होने की वजह से ऐसा कर पाना मुश्किल होगा। लोगों को अपनी बेटियों के भविष्य के लिए उस फैसले को अपनाना होगा। दिव्या का कहना है कि यह फैसला महिलाओं के हित के लिए जरूरी था।
मौजूदा कानून यह है बता दें कि अब तक लड़कों का विवाह 21 और लड़कियों के लिए 18 वर्ष मान्य था। अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिन्दू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी। बता दें कि नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी।
1978 में हुआ था आखिरी बदलाव आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1978 में युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बार बदलाव किया गया था। इसके लिए शारदा एक्ट के तहत उस समय लड़कियों के लिए विवाह की आयु सीमा 15 से 18 किया था। इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में बदलाव किया गया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम आयु में हो रही है भारत के जनगणना महापंजीयक के अनुसार 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या 16 करोड़ है।