21वीं सदी का भारत, मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला भारत और न जाने विकास की किन ऊपरी हवाओं में गोता लगाता भारत और इन सबके इतर एक शर्मनाक दर्दनाक और अव्यवस्थाओं की बलि की वेदी पर सांसे लेता भारत, जी हाँ कुछ ऐसी ही हकीकत है इस देश की जो तमाचा मारती है उन खोखले दावों और वादों के मुंह पर जो जनता की पीठ पर बैठकर उन सफेदपोशों द्वारा किए जाते हैं।
चित्रकूट में एक ऐसी ही घटना व तस्वीर ने झकझोर दिया उस व्यवस्था को जो जनता को पलकों पर बैठाने का झूंठा दम्भ भरती है। जनपद के मऊ थाना क्षेत्र के निवासी राधेश्याम के पुत्र अभय(ढाई वर्ष) की बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई, उसे उल्टी दस्त व बुखार की शिकायत थी। अभय की माँ मंजू देवी पुत्र को पहले कस्बे के ही एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए ले गई। प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सक ने उसे जिला अस्पताल ले जाने के लिए कहा।
चित्रकूट में एक ऐसी ही घटना व तस्वीर ने झकझोर दिया उस व्यवस्था को जो जनता को पलकों पर बैठाने का झूंठा दम्भ भरती है। जनपद के मऊ थाना क्षेत्र के निवासी राधेश्याम के पुत्र अभय(ढाई वर्ष) की बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई, उसे उल्टी दस्त व बुखार की शिकायत थी। अभय की माँ मंजू देवी पुत्र को पहले कस्बे के ही एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए ले गई। प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सक ने उसे जिला अस्पताल ले जाने के लिए कहा।
अभय को लेकर माँ मंजू अपने पिता लाला के साथ इलाज के लिए कर्वी स्थित जिला अस्पताल पहुंची। रात लगभग पौने ग्यारह बजे पुत्र को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया। मंजू के मुताबिक इलाज में लापरवाही की गई। अभय की हालत बिगडऩे पर वह कई बार रात में स्टाफ व डॉक्टर के पास पहुंची तो उसे भगा दिया गया। भोर में बेटे अभय की हालत एकदम से बिगडऩे पर वह(मंजू) फिर स्टाफ के पास गई तो उसे फिर टरका दिया गया और कहा गया कि बच्चे को या तो कहीं और ले जाओ या फिर जब बच्चे वाले डॉक्टर आएँगे तब इलाज होगा। इस दौरान अभय की मौत हो गई।
पीडि़त माँ मंजू के मुताबिक उसने रोते बिलखते अस्पताल के स्टाफ से अपने बच्चे के शव को ले जाने के लिए वाहन या एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की मिन्नतें कीं, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा और न ही कोई सुनवाई हुई। थक हारकर मंजू अपने कलेजे के टुकड़े के शव को सीने से लगाकर गोद में उठाए अस्पताल गेट के बाहर पहुंची लेकिन अल सुबह होने की वजह से कोई साधन नहीं मिला। बेबस मां अपने बेटे के शव को गोद में लेकर पिता लाला के साथ पैदल ही चल पड़ी। चौराहे पर भी कोई साधन नहीं मिला। किसी तरह फोन के द्वारा पीडि़त माँ मंजू ने अपने मायके अहिरी गाँव (मऊ थाना क्षेत्र) में सूचना दी। लगभग डेढ़ घण्टे बाद बाइक से पहुंचे मायके पक्ष के व्यक्ति के साथ वह पुत्र के शव को लेकर मऊ पहुंची और बेटे का अंतिम संस्कार किया। पुत्र की मौत से मंजू बेसुध हो गई.
पीडि़त माँ मंजू के मुताबिक उसने रोते बिलखते अस्पताल के स्टाफ से अपने बच्चे के शव को ले जाने के लिए वाहन या एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की मिन्नतें कीं, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा और न ही कोई सुनवाई हुई। थक हारकर मंजू अपने कलेजे के टुकड़े के शव को सीने से लगाकर गोद में उठाए अस्पताल गेट के बाहर पहुंची लेकिन अल सुबह होने की वजह से कोई साधन नहीं मिला। बेबस मां अपने बेटे के शव को गोद में लेकर पिता लाला के साथ पैदल ही चल पड़ी। चौराहे पर भी कोई साधन नहीं मिला। किसी तरह फोन के द्वारा पीडि़त माँ मंजू ने अपने मायके अहिरी गाँव (मऊ थाना क्षेत्र) में सूचना दी। लगभग डेढ़ घण्टे बाद बाइक से पहुंचे मायके पक्ष के व्यक्ति के साथ वह पुत्र के शव को लेकर मऊ पहुंची और बेटे का अंतिम संस्कार किया। पुत्र की मौत से मंजू बेसुध हो गई.
इस पूरे मामले पर जब जिला अस्पताल की सफाई मांगी गई तो अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर एनके गुप्ता ने कहा कि ऐसा कोई प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं आया। किसी के द्वारा शव वाहन मांगे जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। सीएमएस के मुताबिक अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि अभय नाम के बच्चे को बीमारी की अवस्था में भर्ती कराया गया था और उसका इलाज भी किया गया, लेकिन वह अपने वार्ड व बेड पर नहीं था, उसके परिजन बिना अस्पताल स्टाफ को बताए उसे कहीं ले गए।