कोरोना को लेकर हाईकोर्ट के 5 आदेश जिनसे जिंदगी बचाने की जंग हुई आसान
Allahabad Highcourt Decisions on Covid-19. बीते कुछ महीनों में कोरोना को लेकर प्रदेश में हालात बेकाबू रहे जिसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड-19 को लेकर कुछ निर्देश जारी हैं।
लखनऊ. Allahabad Highcourt Decisions on COVID-19 . उत्तर प्रदेश में बीते कुछ महीनों में कोविड-19 (Covid-19) को लेकर स्थिति चिंताजनक रही है। हालांकि, कोरोना को लेकर हालातों में पहले से कुछ सुधार है लेकिन इसे जड़ से खत्म करने के लिए धरातल पर काम अब भी जारी है। योगी सरकार लगातार जिलों का निरीक्षण कर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जायजा ले रही है। उधर, बीते कुछ महीनों में कोरोना को लेकर प्रदेश में हालात बेकाबू रहे जिसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने कोविड-19 को लेकर कुछ निर्देश जारी हैं।
मुआवजे की राशि बढ़ाने के निर्देश प्रदेश में कोविड-19 की दूसरी लहर में कई लोगों की जान जा चुकी है। कोविड की बदहाल स्थिति के बीच ही यूपी पंचायत चुनाव आयोजित कराए गए जिसमें ड्यूटी के दौरान कई शिक्षकों की मौत हो गई। कोरोना से शिक्षकों की हुई मौतों पर कोर्ट ने चुनाव आयोग और यूपी सरकार को मृतक के आश्रितों को एक-एक करोड़ रुपये देने की मांग की थी। इससे पहले योगी सरकार ने मृतक के आश्रितों के लिए 35 लाख मुआवजे का ऐलान किया था जिस पर आपत्ति जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस राशि को बढ़ाकर सभी के लिए एक करोड़ करने के निर्देश दिए थे।
चार महीने के भीतर राज्य में वैक्सीनेशन प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार महीने के भीतर यूपी के सभी जिलों में टीका लगवाने की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह राज्य भर में ग्रामीण और उप शहरी क्षेत्रों में कोविड के प्रसार से निपटने के लिए अपनी योजना को आगे बढ़ाएं। हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए यूपी सरकार ने एक जून से प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीकाकरण का काम शुरू करने का आदेश दिया है। अभी तक यूपी के 23 जिलों में ही 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण हो रहा है। 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका कम लग रहा है। जबकि 18 से 44 साल वालों को राज्य सरकार के संसाधनों से टीका-कवर उपलब्ध कराया जा रहा है।
कोरोना संदिग्ध की मौत को कोविड डेथ के आंकड़ों में शामिल करे सरकार कोरोना के संदिग्ध मरीजों की मौत के आंकड़ों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संक्रमण से होने वाली मौतों के आंकड़ों में जोड़ने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसे मामलों में शवों को बिना कोविड प्रोटोकॉल के उनके परिजनों को सौंपना बड़ी भूल होगी। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर मृतक में हृदय रोग या किडनी की समस्या नहीं है तो उसे कोरोना संक्रमण से हुई मौत ही माना जाए।
प्रत्येक गांव को दी जाए एंबुलेंस इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार का निर्देश दिया है कि गांवों और छोटे शहरी क्षेत्रों को सभी प्रकार की पैथोलॉजी सुविधाएं दी जानी चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बड़े शहरों में लेवल-2 अस्पतालों के बराबर उपचार उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अगर कोई रोगी ग्रामीण क्षेत्रों में या छोटे शहरों में गंभीर हो जाता है तो सभी प्रकार की गहन देखभाल की सुविधाओं के साथ एम्बुलेंस प्रदान की जानी चाहिए ताकि उस रोगी को बड़े शहर में उचित चिकित्सा सुविधा वाले अस्पताल में लाया जा सके।कोर्ट ने राज्य के प्रत्येक बी ग्रेड और सी ग्रेड शहर को कम से कम 20 एम्बुलेंस और हर गांव को कम से कम दो ऐसी एम्बुलेंस दिए जाने के भी निर्देश दिए हैं, जिनमें चिकित्सा इकाई की सुविधा हो। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने दिया था।
पांच मेडिकल कॉलेज पीजीआई की तरह बनाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सीय सुविधाओं के मद्देनजर राज्य की योगी सरकार को प्रयागराज सहित पांच मेडिकल कॉलेज पीजीआई की तरह बनाने के निर्देश भी दिए हें। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज, आगरा, मेरठ, कानपुर और गोरखपुर मेडिकल कॉलेजों में चार महीने के भीतर संजय गांधी स्नातकोत्तर संस्थान की तरह उन्नत सुविधाएं होनी चाहिए। उनके लिए भूमि अधिग्रहण के लिए आपातकालीन कानून लागू किया जाए।