लखनऊ

हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, अपराधियों को राजनीति से बाहर करे संसद और चुनाव आयोग

Lucknow High Court राजनीति में अपराधियों के दबदबे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपनी चिंता जताते हुए कहाकि, संसद और भारत निर्वाचन आयोग को राजनीति से अपराधियों को बाहर करने के लिए समुचित कदम उठाने चाहिए।

लखनऊJul 05, 2022 / 11:56 am

Sanjay Kumar Srivastava

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राजनीति में अपराधियों के दबदबे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपनी चिंता जताते हुए कहाकि, संसद और भारत निर्वाचन आयोग को राजनीति से अपराधियों को बाहर करने के लिए समुचित कदम उठाने चाहिए। राजनेताओं, अपराधियों और नौकरशाहों के बीच का अपवित्र गठजोड़ मिटा देना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहाकि हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस दिशा में उचित कदम उठाने को कहा है किंतु, अभी तक चुनाव आयोग और संसद ने ऐसा करने के लिए सामूहिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है।
जमानत अर्जी खारिज

यह टिप्पणी जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने बसपा सांसद अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की। अतुल राय अपने खिलाफ दर्ज केस को वापस करने के लिए पीड़िता और उसके गवाह पर नाजायज दबाव बनाने के आरोप में जेल में बंद हैं। उनके दबाव के कारण पीड़िता और उसके गवाह ने सुप्रीम कोर्ट के सामने फेसबुक पर लाइव आकर आत्महत्या का प्रयास किया था। गंभीर अवस्था में दोनों को अस्पताल में दाखिल किया गया था जहां उनकी मौत हो गई थी। इस केस में हजरतगंज थाने में सांसद अतुल राय और पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अतुल राय पर कुल 23 मुकदमे दर्ज

अतुल राय के केस की सुनवाई में हाईकोर्ट ने पाया कि, उनके खिलाफ कुल 23 मुकदमों का आपराधिक इतिहास है। हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि, 2004 की लोकसभा में 24 प्रतिशत, 2009 की लोकसभा में 30 प्रतिशत, 2014 की लोकसभा में 34 प्रतिशत तो वहीं 2019 की लोकसभा में 43 प्रतिशत सदस्य आपराधिक छवि वाले हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, यह संसद की सामूहिक जिम्मेदारी है कि अपराधिक छवि वाले लोगों को राजनीति में आने से रोके और लोकतंत्र को बचाए। कोर्ट ने कहा कि चूंकि संसद और आयोग आवश्यक कदम नहीं उठा रहे हैं इसलिए भारत का लोकतंत्र अपराधियों, ठगों और कानून तोडऩे वालों के हाथों में सरक रहा है।
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आज की राजनीति अपराध, ताकत और पैसे से ग्रसित

हाईकोर्ट ने कहा कि, कोई भी इस बात से इन्कार नहीं करेगा कि आज की राजनीति अपराध, ताकत और पैसे से ग्रसित है। अपराध और राजनीति का गठजोड़ लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए गंभीर खतरा है। लोकसभा, विधानसभा और यहां तक कि स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ना बहुत ही महंगा हो गया है।
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बेझिझक टिकट देती हैं पार्टियां

हाईकोर्ट ने कहाकि, यह भी देखने में आया है कि हर चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों की संपत्ति में अकूत इजाफा हो जाता है। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि पहले बाहुबली और अपराधी चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को समर्थन प्रदान करते थे किंतु अब तो वे स्वयं राजनीति में आते हैं और पार्टियां उनको बेझिझक टिकट भी देती हैं। यह तो और भी आश्चर्यजनक है कि जनता ऐसे लोगों को जिता भी देती है।
आपराधिक छवि वाले नेताओं को नकारे जनता

हाईकोर्ट ने सिविल सोसायटी से कहा कि, उन्हें जाति व धर्म की संकीर्णता से ऊपर उठकर ऐसे आपराधिक छवि वाले नेताओं को नकार देना चाहिए।

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