इन आरोपों के आधार पर दर्ज है मुकदमा सीएए-एनआरसी का विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ हत्या का प्रयास, मारपीट, विधि विरुद्ध जमाव और सात क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट की धाराओं में मुकदमा दर्ज है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह मौके पर नहीं था। याची व अन्य प्रदर्शनकारियों के पास से कोई आपत्तिजनक बरामदगी भी नहीं हुई है। यह सुनावई जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई।
पूरे देश में हुआ था धरना नागरिकता संशोधन कानून को एक साल हो गए हैं। केंद्र सरकार ने 11 दिसंबर, 2019 को सीएए पास किया था। हालांकि, इसके बाद पूरे देश में धरना प्रदर्शन शुरू हो गया था। दिल्ली के शाहीन बाग और देश के कई अन्य हिस्सों में भी शाहीन बाग की तर्ज पर धरना प्रदर्शन किए गए। राजधानी लखनऊ का घंटाघर और प्रयागराज पार्क का आंदोलन तो कोरोना के लॉकडाउन शुरू होने के बाद ही खत्म हो सका। सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक बड़ी हिंसा भी दिखी। काफी जगह तोड़फोड़, आगजनी हुई। इस दौरान मीडिया वैन जलाई गई, पुलिस पर हमले हुए, पथराव किया गया। यह हिंसा लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली। 19 दिसंबर से 10 जनवरी तक चले हिंसा के इस दौर में 23 लोगों की जानें भी गईं।