बता दें कि बीते सितंबर माह में केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश लेकर आई थी। केन्द्र सरकार संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक़ बिल संसद में पास कराने की तैयारी में है। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुरू से ही इस बिल का विरोध किया है। नियम के मुताबिक किसी भी अध्यादेश को 6 महीने के अंदर पास करवाना होता है। यानी सरकार को इसी शीतकालीन सत्र में ये अध्यादेश पास कराना होगा। पिछली बार तीन तलाक बिल का राज्यसभा में कड़ा विरोध हुआ था। विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि इस बिल को कड़े परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
कासिम रसूल इलियास ने बताया कि देश भर में 14 नए दारुल क़ज़ा बनाए गए। दारुल क़ज़ा में महिलाओं को बड़ा फायदा मिला है। महिलाविंग ने देश भर में कई प्रोग्राम करके मुस्लिम पर्सनल लॉ को बताया कि ट्रिपल तलाख को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। ज्यादातर महिलाएं लॉ बोर्ड के साथ हैं। समाज की खामियों को दूर करने पर ज़ोर दिया जा रहा है। मुसलमानों को आगे बढ़ने की कोशिशें की जा रही है। आज के दौर में औरतों की तमाम परेशानियों के लिए काम किया जा रहा है दहेज, तलाक जैसे मुद्दों पर औरतों की मदद के लिए दारुल क़ज़ा में बहुत काम किया जा रहा है।
इस मौके पर बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जिलानी अयोध्या माले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार कर रहे है। बाबरी मस्जिद के टाइटल सूट के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में सुनवाई शुरू होनी है। बोर्ड के सदस्य कमाल फारुखी ने कहा कि एक हम हैं जो ये कह रहे है कि इंतज़ार है और एक वह है जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार न करके बिल लाने की बात कर रहे है, बयान दे रहे है। ये ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने बताया कि विपक्षी दलों से ट्रिपल तलाख बिल के प्रस्ताव का समर्थन न करने की भी अपील की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में ख़ालिद राशीद फिरंगी महली, असमा ज़ेहरा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे।