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लखनऊ

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अखिलेश यादव ने इनका टिकट किया फाइनल, तैयारी करने को कहा

UP Assembly election 2022 में सोशल इंजीनियरिंग का दांव खेलेंगे राजनीतिक दल
समाजवादी पार्टी : ब्राह्मणों के साथ गैर यादवों पर फोकस
बीजेपी : संगठन में फेरबदल के जरिए साध रहे जातीय समीकरण
कांग्रेस : प्रियंका गांधी तैयार कर रहीं जीत की रणनीति
बसपा : वेट एंड वॉच की स्थिति में मायावती

लखनऊJun 23, 2021 / 11:02 am

नितिन श्रीवास्तव

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लखनऊ. UP Assembly election 2022: अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को फतह करने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुट गए हैं। अपनी राजनातिक जमीन को और मजबूत करने के लिए वह सिर्फ अपने अनुभव ही नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति के पुराने प्रयोगों को भी आजमाने की फिराक में हैं। अखिलेश का फोकस गैर यादव वोट बैंक पर टिका है। यानी जैसे बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती (Mayawati) ने एक समय पर मुस्लिम-जाटव के साथ ब्राह्मणों को भी हाथी पर सम्मानपूर्वक बैठाकर सत्ता के सिंहासन पर खुद को काबिज किया था, अखिलेश यादव भी अब अपनी साइकिल को उसी तरह बनाने में लग गए हैं। यानी अखिलेश आगामी विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण नेताओं को ज्यादा टिकट देकर सोशल इंजीनियरिंग (Akhilesh Yadav Social Engineering) के प्रयोग में जुट गए हैं। सपा सूत्रों के मुताबिक इस बार विधानसभा चुनाव में अच्छी संख्या में ब्राह्मण नेताओं को पार्टी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। सपा ने अपने कई ब्राह्मण नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में मजबूती से तैयारियों में जुटने के लिए भी कहा गया है।

 

सोशल इंजीनियरिंग के सहारे अखिलेश यादव

राजनीति के योद्धा पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की राजनीतिक विरासत संभाल रहे उनके बेटे अखिलेश यादव दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए मिशन 2022 में जुट गए हैं। यूपी की भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर सपा मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस और बसपा से गठबंधन के असफल प्रयोग भी कर चुके हैं। ऐसे में अब वह अपनी पार्टी की ताकत बढ़ाने में लगे हैं। दरअसल सपा के पास यादव-मुस्लिम का मजबूत वोटबैंक उसी तरह है, जैसे मायावती के पास मुस्लिम-जाटव वोट हुआ करता था। ऐसे में अब सपा सोशल इंजीनियरिंग के सहारे अपनी जीत पक्का करना चाहती है।

 

सपा ब्राह्मणों को बनाएगी प्रत्याशी

दरअसल अखिलेश यादव यह समझ चुके हैं कि सवर्णों के बेस वोट के साथ अनुसूचित और पिछड़ों में बड़ी सेंध लगाकर भाजपा मजबूत हुई है। वहीं इस समय भाजपा सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी के प्रदेश में खूब चर्चे हो रहे हैं। ऐसे में सपा अध्यक्ष की नजर ब्राह्मण नेताओं पर जा टिकी है। जानकारी के मुताबिक कई ब्राह्मण नेता को सपा साइकिल की सवारी कराने को तैयार है। सपा सूत्रों के मुताबिक इस बार विधानसभा चुनाव में अच्छी संख्या में ब्राह्मण नेताओं को पार्टी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। सपा ने अपने कई ब्राह्मण नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में मजबूती से जुटने के लिए भी कहा गया है। वहीं सपा मान रही है कि कोरोना की महामारी ने व्यापार को भी काफी चौपट किया है। सरकार से इस वर्ग की भी नाराजगी है। ऐसे में ब्राह्मणों के साथ ही वैश्य को भी आसानी से अपने पाले में खींचा जा सकता है।

 

बीजेपी ने साधे जातीय समीकरण

बीजेपी (BJP) ने अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले पूरे संगठन का गठन कर एक साथ कई मोर्चों को साध लिया है। पार्टी ने करीब साल भर बाद मोर्चों का गठन तो किया ही, साथ ही जिनका समायोजन मोर्चों में नहीं हो सका, उन्हें प्रदेश पदाधिकारी बनाकर जातीय संतुलन भी बिठाया है। रिटायर्ड आईएएस एके शर्मा को संगठन में जिम्मेदारी देकर अटकलों-विवादों को विराम दे दिया। वहीं मोर्चों के गठन के लिए चल रही उठापटक को केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठकर सुलझा लिया।

 

प्रियंका तैयार कर रहीं रणनीति

प्रियंका गाधी (Priyanka Gandhi) भी यूपी जीतने की रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं। कांग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए करीब 50 नेताओं को फोन कर कह दिया है कि आपका टिकट पक्का है। चुनाव की तैयारियां करें। साथ ही और प्रदेश के सेनापति अजय कुमार लल्लू को निर्देश दिया है कि अगस्त तक प्रदेश की 200 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट तैयार कर लें। प्रियंका गांधी को तैयारियों में तेजी का फायदा मिल सकता है। और इस रणनीति से यूपी में कांग्रेस अपनी किस्मत को बदल सकती है।

 

वेट एंड वॉच की स्थिति में मायावती

एक तरफ जहां भाजपा, सपा और कांग्रेस समेत लगभग सभी दल अपने कील कांटे दुरूस्त करने में लगे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। एक के बाद एक सियासी झटकों के बाद मायावती यूपी की राजनीति में हासिये पर पहुंच गई हैं। ऐसे में उनके सामने फिलहाल करने को बहुत कुछ नहीं है। इसीलिए मायावती (Mayawati) संगठन को मजबूत करते हुए दूसरे सियासी दलों की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

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