राम मंदिर के सहारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 लोकसभा का चुनावी बिगुल फूंक दिया है, ताकि रिकॉर्ड सीटों के साथ सत्ता की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचा जा सके। वहीं, बीजेपी के विजयी रथ को रोकने के लिए सपा ने भी ‘मंदिर पॉलिटिक्स’ का दांव चला दिया है।
राम मंदिर उद्घाटन समारोह में न्योता मिलने के बावजूद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नहीं गए थे। इसके बाद जब उन पर उठने लगा तो उन्होंने कहा कि वे बाद में अपने परिवार के साथ रामलला का दर्शन करने जाएंगे। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अब तक अखिलेश यादव रामलला का दर्शन करने नहीं गए। वहीं, बजट सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की तरफ से रामलला का दर्शन करने के लिए सभी विधायकों को निमंत्रण दिया गया। इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निमंत्रण को अस्वीकार करते हुए कहा कि हमें भगवान श्री राम बुलाएंगे, तब जायेंगे। इसके बाद अखिलेश यादव पर सवाल उठने लगा।
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राम मंदिर को लेकर सवालों से घिरे अखिलेश यादव आजकल शिवभक्त बन गए हैं। अखिलेश यादव देवों के देव भगवान शिव का मंदिर इटावा में बनवाने जा रहे हैं। ‘केदारेश्वर’ मंदिर के लिए नेपाल से शालीग्राम की शिला लाई गई। सोमवार को अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव के साथ सपा दफ्तर में शालीग्राम की पूजा- अर्चना की। इस अवसर पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव समेत 101 विधायक इस अनुष्ठान में शामिल हुए। इस दौरान ‘हर- हर महादेव के जयकारे लगे। इसे इटावा लायन सफारी के पास बनाए जा रहे केदारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि पवित्र शालिग्राम की शिला को आंध्र प्रदेश के श्रीमधु बोट्टा और जौनपुर के कृपाशंकर नेपाल से लेकर सोमवार की रात लखनऊ पहुंचे। नेपाल की काली गंडकी नदी में ही ऐसी शिलाएं मिलती है। इन्हें देवशिला कहते हैं। वर्तमान देवशिला सात फिट ऊंची छह फिट चौड़ी और 13 टन की है। केदारेश्वर मंदिर का निर्माण 10 एकड़ क्षेत्र में हो रहा है। यह मंदिर का निर्माण ज्योतिर्लिंगों, जैसे केदारनाथ (उत्तराखंड में) और बाबा विश्वनाथ (वाराणसी) मंदिर के अनुरुप होगा। इस अवसर पर अहिरवा नृत्य का भी आयोजन हुआ। अब ये आगे देखना होगा शिव मंदिर बनवाने से राम लला का दर्शन के लिए ना जाने से उठ रहे सवालों से अखिलेश यादव बच पाएंगे या नहीं।