अखिलेश यादव भले ही कांग्रेस पार्टी से इतर बसपा से गठबंधन की तैयारी में हैं, लेकिन मायावती भूत-भविष्य और वर्तमान सब कुछ सोचकर चल रही हैं। अखिलेश मायावती से मिलकर गठबंधन के लिए सीटों के बंटवारे पर बात फाइनल कर लेना चाहते हैं, लेकिन बार-बार मायावती उन्हें नहीं दे रही हैं। सूत्रों की मानें तो गठबंधन को लेकर मायावती की बातचीत कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से चल रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र के संपर्क में लगातार है। पार्टी सूत्रों की मानें तो मायावती ने राहुल गांधी तक अपनी बात पहुंचा दी है।
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अखिलेश का फॉर्मूला मानेंगी मायावती?राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव की नजर सिर्फ लखनऊ पर है। वे भले ही अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, लेकिन उनकी नजर 2022 के विधानसभा चुनाव पर है। वह कह भी चुके हैं कि मैं प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं देखता, लेकिन मुख्यमंत्री जरूर बनूंगा। इसके लिये वह मायावती को सम्मानजनक सीटें भी देने को तैयार हैं। अखिलेश मायावती के साथ ऐसा समझौता करना चाहते हैं कि दिल्ली की सियासत में मायावती सीनियर पार्टनर बनकर रहें और यूपी में अखिलेश यादव। मायावती भी यह सब समझती हैं, इसलिये गठबंधन से पहले वह सब कुछ ठोक-बजाकर देख लेना चाहती हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती इतनी जल्दी लखनऊ की गद्दी अखिलेश के हवाले नहीं करेंगी। वह तो लोकसभा चुनाव में अखिलेश को पीछे करना चाहती हैं, ताकि 2022 में जब विधानसभा चुनाव हो तो बीजेपी की टक्कर देने के लिये बसपा खड़ी हो न कि समाजवादी पार्टी।
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सपा-बसपा गठबंधन पर बीजेपी की नजरसपा-बसपा गठबंधन पर चल रही उठापटक पर बीजेपी के रणनीतिकार पैनी नजर बनाये हुए हैं। बसपाई मायावती को पीएम पद का उम्मीदवार मानकर चल रहे हैं। अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं महागठबंधन से प्रधानमंत्री का नाम चुनाव परिणाम के बाद ही घोषित किया जाएगा। भाजपाई मानकर चल रहे हैं कि अगर ऐसी स्थित बनी रही तो शायद सपा-बसपा गठबंधन न हो। अगर गठबंधन न हुआ तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपनी बड़ी जीत मानकर चल रही है। फिलहाल गठबंधन होगा या नहीं। चुनाव परिणाम किसके पक्ष में होगा और किसके नहीं, यह बाद की बात है, लेकिन सपा-बसपा के गठबंधन को लेकर अभी से तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं।
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